किसानों से विश्वासघात और जनता से लूट भाजपा की नीति, समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और 6 हजार रू. पर सोयाबीन खरीद की मांग को लेकर प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की इंदौर में न्याय यात्रा
इंदौर, 19 सितम्बर । केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मोहन यादव की भाजपा सरकार ने किसानों का हाल बेहाल कर दिया है । मध्यप्रदेश काँग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता मृणाल पंत ने आज प्रैस से चर्चा करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुना करने का वादा करने वाली भाजपा सरकार के राज में छोटे रकबे(0.1–0.4 हेक्टेयर) वाले देश के किसानों की औसत आमदनी 27-32 रूपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74121 रूपये हो गया है। केंद्र सरकार की संस्था नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने अपनी रिपोर्ट में यह सच्चाई उजागर करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश उन राज्यों में है जहां किसानों की आय बढ़ने की जगह घटी है । भाजपा सरकार में बीते दस वर्षों में खेती की लागत 25 हजार रूपये हेक्टेयर बढ़ा दी गई। यह ट्रेक्टर व खेती के उपकरणों, खाद, कीटनाशक दवाईयों पर 18% तक जीएसटी और डीजल की कीमत पर 35 रूपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी जैसे कारणों से हुआ । मृणाल पंत ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भाजपा सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में 9 लाख से ज्यादा छोटे किसानों को अपनी जमीन बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा है । भाजपा की डबल डिस्ट्रक्शन सरकार की नाकामियों का यह एक और शर्मनाक उदाहरण है ।
आज समूचे प्रदेश के किसान कह रहे हैं कि किसानों की आमदनी पर कर रही है वार मोदी-शिवराज-मोहन सरकार।
मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जी ने अप्रैल 2023 में रीवा के पंचायती राज सम्मेलन में यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश में किसानों की आमदनी दोगुना कर दी गई है। जबकि मार्च 2022 में केंद्रीय संसदीय समिति ने यह रिपोर्ट लोकसभा में दी कि मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रांत हैं, जिसमें किसानों की आमदनी 2015-16 की तुलना में 9740 रूपये से घटकर 8339 रूपये प्रतिमाह प्रति परिवार रह गई है।
झूठ बोलते हैं तो आवाज भारी रखते हैं-अगले झूठ की तैयारी रखते हैं
मध्यप्रदेश का चुनाव जीतने के लिए मोदी-शिवराज और भाजपा की तिकड़ी ने प्रदेश चुनाव के पूर्व जारी संकल्प पत्र में लिखा कि चुनाव जीतने पर गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रूपये प्रति क्विंटल और धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये प्रति क्विंटल किया जायेगा लेकिन चुनाव जीतते ही पीठ दिखा दी। उन्होने “सभी” किसानों को 12000 रुपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता और “सभी” “इच्छुक” किसानों को 3000 रुपये प्रति वर्ष की पेंशन और लघु, खेतिहर और बंटाईदार किसानों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का लिखित वादा भी किया था । बेशर्मी से झूठ बोलना भाजपा और उसके नेताओं की आदत बन गई है । आज काँग्रेस पार्टी प्रदेश की भाजपा सरकार से पूछना चाहती है कि इन वादों का क्या हुआ । यह वादे मोदीजी की उपस्थिती में चुनावी सभाओं में दोहराए गए, इसलिए उनको बताना चाहिए कि क्या श्री शिवराज सिंहजी को झूठ का पुरुस्कार देने के लिए केन्द्रीय मंत्री बनाया गया है?
ऐसा लगता है कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों में होड़ लगी है कि कौन किसानों पर ज्यादा और करारा कोड़ा बरसाएगा ।
सोयाबीन किसानों से धोखा-समर्थन मूल्य का नहीं मिला पूरा मौका:
मोदीजी की भाजपा सरकार, प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा मध्यप्रदेश से आने वाले देश के कृषि मंत्री ने बीते 5 सितम्बर को मध्यप्रदेश के साथ बहुत बड़ा धोखा करते हुए मध्य प्रदेश को सोयाबीन खरीदी हेतु प्राइज सपोर्ट स्कीम से बाहर कर दिया गया । कृषि मंत्रालय ने ट्वीट करके यह जानकारी दी कि प्राइज सपोर्ट स्कीम के माध्यम से सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी सिर्फ कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में ही की जायेगी । मृणाल पंत ने कहा की प्रदेश के किसानों के पेट पर लाट मरने का यह काम खुद कृषि मंत्री शिवराज सिंहजी ने किया । किसानों और काँग्रेस के घोर विरोध पर अपनी लुटी-पिटी इज्जत बचाने के लिए भाजपा सरकार को विवश होकर मध्यप्रदेश को इस योजना का फायदा देने की घोषणा करनी पड़ी । तब तक बड़ी संख्या में किसान विवश होकर अपनी उपज बेहद कम दाम पर बेच चुके थे। मोदी-शिवराज-मोहन सरकार ने इस तरह से मध्यप्रदेश के किसानों के अधिकार पर डाका डाला है ।
लागत से भी कम मिल रहे हैं सोयाबीन के दाम:
इस सीजन में मध्यप्रदेश में सोयाबीन का भाव 3600 रूपये प्रति क्विंटल तक गिर चुका है। इससे ज्यादा 4500 क्विंटल का भाव तो प्रदेश के किसानों को 10 साल पहले मिलता था । आज भाजपा सरकार ने उसका समर्थन मूल्य 4892 रूपये प्रति क्विंटल याने 10 साल पहले वाला भाव समर्थन मूल्य के तौर पर निर्धारित किया है, जो कि पहले ही अपर्याप्त है।
मोदी सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य तय करते वक्त इसका लागत मूल्य 3261 रूपये निर्धारित किया है। जबकि मध्यप्रदेश ने लागत और मूल्य आयोग को पहले ही सूचित किया था कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की उत्पादन लागत 4455 रूपये प्रति क्विंटल आती है, वहीं महाराष्ट्र में यह लागत 6039 रूपये प्रति क्विंटल बतायी थी। लागत और मूल्य आयोग ने खुद अपनी 2024-25 की खरीफ की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में औसत सोयाबीन का कास्ट ऑफ प्रोडक्शन (ए2 $ एफएल) 4853 रूपये वर्ष 2022-23 के लिए मूल्यांकित किया गया था। भारत में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन के लिए दो सबसे बड़े प्रांत हैं, उसके बाद राजस्थान और फिर कर्नाटक है।
तेल का खेल-धन्नासेठों से मेल:
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री ने देश के किसानों से आव्हान किया कि आप लोग आईल सीड्स का उत्पादन अच्छा कीजिए, ताकि विदेशों से खाने का तेल न मंगाना पड़े। सच्चाई यह है कि नियोजित रूप से सोयाबीन के तेल की इंपोर्ट ड्यूटी 17.5 प्रतिशत से घटाकर 13.75 प्रतिशत की गई और सोयाबीन क्रूड आईल पर कोई बेसिक कस्टम ड्यूटी नहीं लगती, सिर्फ एज्युकेशन और इन्फ्रासेस से 5.5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है। यह इसलिए किया गया कि देश के किसानों को सोयाबीन की अच्छी कीमत नहीं मिले और अडानी जैसे धन्ना सेठ कम कीमत पर सोयाबीन खरीद कर मोटा मुनाफा कमा सकें । परिणाम यह हुआ कि सोयाबीन का तेल 2013-14 में 13.5 लाख टन विदेशों से मंगाया जाता था जो 2022-23 तक बढ़कर 38.5 लाख टन हो गया है। भारत जहां इस तेल को मंगाने के लिए वर्ष 2013-14 में 8 हजार करोड़ रूपये खर्च करता था, वहां आज उसे 2022-23 में 47 हजार करोड़ रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। साथ ही सोयाबीन सहित सभी तिलहन पैदा करने वाले किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिलता। कैसी विडम्बना है कि किसान सोयाबीन को दस साल पुरानी कीमत पर ही बेच रहा है लेकिन अडानी और कुछ धन्ना सेठ सोयाबीन तेल की कीमत आम जनता को चार गुना ज्यादा भाव बढ़ा कर बेच रहे हैं । किसानों का खून पीया जा रहा है और जनता की जेब काटी जा रही है । स्पष्ट है कि मोदी-शिवराज-मोहन सरकार की तिकड़ी मध्यप्रदेश के किसान और देश की जनता को वैसे ही लूट रही है जैसा अंग्रेजों ने भारत को लूटा था ।
किसान न्याय यात्रा का आगाज – समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए उठायेंगे आवाज:
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी किसानों की फसलों के लिए समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग करती है । हम इस मांग को और किसानों के साथ हो रहे अन्याय को मुखरता से उठायेंगे और बेशर्म भाजपा सरकार से किसानों से किए गए वादे पूरा करने की मांग करेंगे ।
इसी तारतम्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी प्रदेश के हर जिले में किसान न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। 10 सितम्बर 2024 को मंदसौर जिले के गरोठ से किसान न्याय यात्रा का आगाज करने के बाद अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महामंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और श्री पटवारी जी के नेतृत्व में यह यात्रा दिनांक 20 सितंबर को इंदौर के साथ प्रदेश के अन्य जिलों में आयोजित है, जिसमें स्थानीय वरिष्ठ नेतागण, किसान, आमजन और कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल होंगे।