ब्रह्मा कुमारीज़ मूल्य उपवन अचारपुरा में महिला सम्मेलन

आत्म ज्ञान लिंगभेद जनित समस्त बुराईयों को समाप्त करने का अचूक शस्त्र है – बी के किरणया
स्त्री पुरुष प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं,अपितु परस्पर संपूरकता के निमित्त हैं – बी के किरणयदि हम इस सत्य को स्वीकार कर लें कि स्त्री या पुरुष सृष्टि संचालन के दो शरीर हैं, लेकिन दोनों ही शरीर में एक एक अविनाशी सत्ता विराजमान है, जो लिंग रहित है और जिसके अंदर स्त्रीत्व व पुरुषत्व सुलभ दोनों ही संस्कार अंतर्निहित हैं । जब कोई आत्मा स्त्री के शरीर को धारण करती है तो उस अनुसार उसके स्त्रीत्व के संस्कार सौम्यता, पालना, समर्पणमयता आदि प्रकट होते हैं, और जब वही आत्मा पुरुष का शरीर धारण करती है तो उसके अंदर स्थापना, पहल, बाहुबल, नेतृत्व आदि पुरूषत्व के संस्कार प्रकट होते हैं। समय के साथ साथ तत्कालीन सामाजिक मान्यताओं की छाप भी उनके संस्कारों को रंगती हैं।संतुलन के लिए दोनों की हीआवश्यकता है, इसलिए दोनों का अपना अपना महत्व है। यदि दोनों ही एक दूसरे का इसी महत्व के भाव के साथ सम्मान करें तो यह परस्पर संपूरकता समाज में संतुष्टता लाएगी।
उक्त विचार ब्रह्मा कुमारीज़ मूल्य उपवन अचारपुरा की निदेशक बी के किरण ने मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण में महिलाओं का योगदान विषय पर आयोजित महिला सम्मेलन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शारीरिक पालन पोषण के साथ साथ यदि महिलाएं मां के रूप में प्रथम गुरु बनकर बच्चों में दिव्य संस्कारों का बीजारोपण करें तो मूल्यनिष्ठ समाज की स्थापना सहज ही हो जाएगी।महिला सम्मेलन में कैरियर और साइकोलॉजिकल काउंसलर उम्मे कुलसुम ने कहा कि सबकुछ अपने कंट्रोल में रखकर महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित रखने के कारण मेरे अंदर पुरुष वर्ग के प्रति आक्रोश था, लेकिन जब मुझे यह पता चला कि महिलाओं के नेतृत्व में अनेकों के जीवन में खुशहाली लाने वाली ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था के स्थापक स्वयं एक पुरुष थे और उन्होंने अपनी सारी संपत्ति महिलाओं का ट्रस्ट बनाकर उन्हें ही विश्व परिवर्तन के कार्य के लिए सौंप दी, तो वह आक्रोश ठंडा हो गया। सारांश में मैंने सीखा कि यदि पुरुष प्रोवाइडर है तो महिला नर्चरर है। ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था के सदस्यों की सौम्यता को देखकर एक खुली किताब की तरह हम समझ सकते हैं कि महिलाओं का नेतृत्व मूल्यनिष्ठ समाज की स्थापना में कितनी अहम भूमिका निभा सकता है।
ओरिफ्लेम कंपनी की डायरेक्टर वंदना बहन ने कहा कि ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था द्वारा दी गई सीख स्वपरिवर्तन से विश्वपरिवर्तन को महिलाएं अमल में लाएं तो मूल्य निष्ठ समाज की स्थापना में उनका महान योगदान होगा क्योंकि बच्चे का प्रारंभिक विकास मां के सान्निध्य में ही होता है।
कवियित्री सरिता बघेल ने महिलाओं के सकारात्मक पक्ष को उजागर करने वाली स्वरचित कविताओं का पाठन किया।
अचारपुरा शासकीय माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य गुंजा साहू ने बताया कि ब्रह्मा कुमारीज़ की शिक्षाओं का जब से मैं अनुसरण कर रही हूं तब से मैंने सीखा है कि किस तरह घर गृहस्थ, कारोबार आदि के कर्तव्य निभाते हुए भी सभी बुराईयों से संन्यास किया जा सकता है। इसका परिणाम यह हुआ है कि यहां के छात्रों में भी सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है, साथ ही जब कोई इंस्पेक्शन टीम आती है तो वे भी कहते हैं कि आपके विद्यालय का वातावरण बहुत अच्छा लगता है।
सरिता सक्सेना और बृजबाला गौर ने ब्रह्मा कुमारीज़ संस्था से जुड़ने से उनके जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव सुनाया।
दीपाली शुक्ला और उनकी टीम ने नृत्य द्वारा महिला जीवन की विशेषताओं को व्यक्त किया।
सभी ने खड़े होकर महीला सम्मेलन की आयोजक बी के किरण के आव्हान पर स्वपरिवर्तन से परिवार परिवर्तन और संस्कार परिवर्तन से संसार परिवर्तन की दृढ़ प्रतिज्ञा की।
तत्पश्चात दीप प्रज्ज्वलन के साथ सम्मेलन का संदेश जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।
सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हुए लगभग 100 महिलाओं ने सम्मेलन में भाग लिया