राजनीतिक

कांग्रेस ने जातिगत जनगणना, SC-ST सब प्लान पर केंद्रीय कानून जैसे वादे किए

अहमदाबाद अधिवेशन में कांग्रेस ने 12 पन्ने का प्रस्ताव पारित किया

कांग्रेस ने बुधवार को ‘न्यायपथ’ शीर्षक के साथ 12 पेज का प्रस्ताव पारित किया। गुजरात के अहमदाबाद में 64 साल बाद हो रहे इस आयोजन के संबंध में कांग्रेस ने कहा कि पार्टी एससी/एसटी उपयोजना के लिए केंद्रीय कानून बनाएगी। कांग्रेस पार्टी के प्रस्ताव के मुताबिक कांग्रेस अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी के अनुसार बजटीय आवंटन की गारंटी देने की अपनी प्रतिबद्धता पर भी अडिग है।

अहमदाबाद अधिवेशन में 12 पेज का प्रस्ताव, जाति और SC-ST पर क्या बोली कांग्रेस?
कांग्रेस ने कहा, 20 जनवरी, 2006 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के तहत अहम मौलिक गारंटी देने का वादा किया था। इसके तहत निजी शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), एससी और एसटी के लिए आरक्षण के प्रावधानों को बिना देरी के लागू किया जाना चाहिए। अहमदाबाद अधिवेशन में पारित प्रस्ताव के मुताबिक कांग्रेस ने कहा कि सामाजिक न्याय की सांविधानिक गारंटी वाली नींव को राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना से ही मजबूत किया जा सकता है।

भाजपा के गढ़ में बड़े कांग्रेस नेताओं का जमघट
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश सहित कई वरिष्ठ नेता मंथन में शामिल हुए। बुधवार को दिन भर विचार-विमर्श के बाद हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित किया गया। भाजपा शासित राज्य गुजरात में 64 साल के बाद ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण और संघर्ष’ विषय पर आयोजित कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, अंबिका सोनी, कुमारी सैलजा जैसी हस्तियों ने भी भाग लिया।

एससी-एसटी के लिए बजटीय आवंटन पर गंभीर सवाल
कांग्रेस ने प्रस्ताव में सामाजिक न्याय पर एक खंड समर्पित है। पार्टी के मुताबिक यही इस राजनीतिक दल का ‘वैचारिक आधार’ है। प्रस्ताव में कहा गया, हमारा दृढ़ विश्वास है कि कोई भी राष्ट्र या समाज उत्पीड़ित, हाशिए पर पड़े और पिछड़े समुदायों को पीछे छोड़कर वास्तविक तरक्की नहीं कर सकता। आरक्षण के सांविधानिक प्रावधानों का आधार भी यही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक में, सत्तारूढ़ पार्टी- भाजपा की वास्तविकता यह है कि एससी/एसटी सब-प्लान और इस समुदाय के लिए होने वाले बजटीय आवंटन को लगभग खत्म कर दिया गया है।

सत्तारूढ़ भाजपा की ओबीसी विरोधी मानसिकता
कांग्रेस ने कहा, आरक्षण पर 50 फीसदी की मनमानी सीमा और जनगणना नहीं कराने ने ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय के लोग उचित हक से वंचित हैं। यहां तक कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी आरक्षण से भी इनकार किया गया है। यह सब सत्तारूढ़ भाजपा की “एससी, एसटी और ओबीसी विरोधी मानसिकता” दिखाता है।

प्रगतिशील कानूनों को कमजोर किया जा रहा है
12 पेज के प्रस्ताव में कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के खिलाफ अमानवीय अत्याचारों में हर साल 13 फीसदी की खतरनाक वृद्धि हो रही है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता खुद भी अत्याचारों के ऐसे कई मामलों में संलिप्त पाए गए हैं। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनाए गए प्रगतिशील कानूनों जैसे पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996; वन अधिकार अधिनियम, 2006 को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है।

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