अध्यात्मखबरमध्य प्रदेश

जयकारों के साथ ध्वजारोहण हुआ, नंदीश्वर जिनालय में पूजन प्रशिक्षण शिविर शुरू 

लहर-लहर लहराया केसरिया झण्डा जिनमत का

भोपाल। संतों के चातुर्मास की साधना के दौरान शहर के जैन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ संतों के आशीषवचन हो रहे हैं। एक ओर अहिंसा जीवदया और करुणा के संदेश के साथ परस्पर सहयोग की भावना रखने की सीख प्रवचनों के दौरान श्रद्धालुओं को दी जा रही है वही दूसरी ओर धर्म आध्यात्मिक क्रियाओं को विधि-विधान हेतु विस्तार से बताया जा रहा है। नंदीश्वर जिनालय में आचार्य विनम्र सागर महाराज के सानिध्य में श्री मज्जिनेन्द्र पूजन प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ ध्वजारोहण के साथ हुआ। ध्वजारोहण करने का सौभाग्य पं. सुदर्शन लाल परिवार को मिला। समाज के श्रेष्ठीजनों और पुण्यार्जक परिवारों ने आचार्यश्री विद्यासागर महाराज, आचार्य विराग सागर महाराज, आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज का चित्र अनावरण दीप प्रज्जवलन हुआ। प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि आचार्य श्री कमकमलों में शास्त्र भेंट सुषमा-रत्नेश नेहा भंडारी परिवार ने किया। मंगल कलश की स्थापना संतोष मधु परिवार ने किया। 2 अक्टूबर तक चलने वाले पूजन प्रशिक्षण शिविर में पूजा-विधि कैसे कब और किस तरह की जाती है पूजन अष्ट द्रव्य से ही क्यों करते हैं आदि धार्मिक क्रियाओं को आचार्य श्री द्वारा विस्तार से बताया जायेगा। साथ ही श्रद्धालुओं का शंका समाधान भी किया जायेगा। आचार्य श्री विनम्र सागर महाराज ने आशीषवचन में कहा जीवन को मंगलमय बनाने के लिये पवित्र मन से मांगलिक क्रियाएं की जाना चाहिये। भगवान जिनेन्द्र की पूजन और आराधना जीवन को आत्मिक सुख प्रदान करती है परंतु वर्तमान में जल्दबाजी भौतिक जीवनशैली और अत्यधिक आकांक्षाओं के कारण धर्म आध्यात्म की क्रियायें भी दिखावा मात्र रह गयी है।
मीडिया प्रभारी अंशुल जैन के अनुसार नंदीश्वर जिनालय के अध्यक्ष एड. प्रमोद चौधरी एवं अन्य पदाधिकारियों ने पुण्यार्जक परिवारों का बहुमान किया। धर्मसभा का संचालन डॉ. सर्वज्ञ ने किया अनुष्ठान के प्रमुख पात्र विपिन-विनीता सिंघई चक्रवर्ती, विमल-सुनील, सीमा-सिंघई सौधर्म इन्द्र, प्रकाश-पंकज प्रियंका कुबेर, नरेन्द्र चंदा यज्ञनायक, प्रदीप – रविना ईशान इन्द्र, अशोक-पुनीत आर.एस. सानत कुमार इन्द्र द्वारा प्रथम दिन मंत्रोच्चार के साथ जगत में शांति और सभी के मंगलमय जीवन की कामना को लेकर अष्ट द्रव्य अर्पित किये गये।

 

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