
भारत की आर्थिक वृद्धि दर मार्च तिमाही में धीमी होकर 7.4 प्रतिशत रह गई। इससे 2024-25 के दौरान वार्षिक वृद्धि दर घटकर 6.5 प्रतिशत रह जाएगी। जनवरी-मार्च अवधि में वृद्धि दर एक वर्ष पूर्व की समान तिमाही की 8.4 प्रतिशत वृद्धि दर से कम रही। सरकार ने शुक्रवार को इससे जुड़े आंकड़े जारी किए।राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत बढ़ेगी, जबकि 2023-24 में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। दूसरी ओर, चीन ने 2025 के पहले तीन महीनों (जनवरी-मार्च 2025) में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर्ज करने की जानकारी दी है।
विनिर्माण क्षेत्र में नरमी के कारण जीडीपी की रफ्तार कमजोर
जीडीपी में नरमी का कारण मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में नरमी आना रहा। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 330.68 लाख करोड़ रुपये या लगभग 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इससे अगले कुछ वर्षों में इसके 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने का आधार तैयार हो गया। छले वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। दूसरी ओर, चीन ने 2025 के पहले तीन महीनों में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर्ज की है।राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आर्थिक अनुमानों में बताया गया कि जनवरी-मार्च 2025 के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर 7.4 प्रतिशत रही। अक्तूबर-दिसंबर 2024 में यह 6.4 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर 2024 में 5.6 प्रतिशत और पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 6.5 प्रतिशत थी। 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। एनएसओ ने फरवरी में जारी अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
जीडीपी पर एनएसओ ने सार्वजनिक किए ये आंकड़े
एनएसओ के अनुसार, “वास्तविक जीडीपी या स्थिर मूल्यों पर जीडीपी वित्त वर्ष 2024-25 में 187.97 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी का पहला संशोधित अनुमान (एफआरई) 176.51 लाख करोड़ रुपये है। इस आधार पर वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही। एनएसओ कहा, “वर्तमान मूल्यों पर नॉमिनल जीडीपी या जीडीपी वित्त वर्ष 2024-25 में 330.68 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 के 301.23 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 9.8 प्रतिशत अधिक है।”
एनएसओ ने आगे कहा कि 2024-25 की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी या स्थिर मूल्यों पर जीडीपी 51.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 47.82 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में नॉमिनल जीडीपी 88.18 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 79.61 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दिखी।
जीडीपी के आंकड़ों पर वित्त मंत्री ने दी यह प्रतिक्रिया
जीडीपी के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत ने लगातार चौथे वर्ष सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में विकास की गति को बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही के दौरान भारत की विनिर्माण गतिविधियां अच्छी रहीं।
राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा करने में सफल सरकार
केंद्र सरकार 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही है। यह जानकारी शुक्रवार को महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों से मिली। फरवरी में संसद में प्रस्तुत संशोधित अनुमानों में सरकार ने राजकोषीय घाटा या व्यय और राजस्व के बीच का अंतर 15,69,527 करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 प्रतिशत आंका था। सीजीए के आंकड़ों से पता चला कि वास्तविक रूप से राजकोषीय घाटा 15,77,270 करोड़ रुपये या संशोधित अनुमान का 100.5 प्रतिशत था।
दिन में पहले जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नाममात्र की आर्थिक वृद्धि 3,30,68,145 करोड़ रुपये अनुमानित है। सरकार को 2024-25 के दौरान कुल प्राप्तियों में से 30.78 लाख करोड़ रुपये या संशोधित अनुमान 2024-25 का 97.8 प्रतिशत प्राप्त हुआ। सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, इसमें 24.99 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व (केंद्र को शुद्ध), 5.37 लाख करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व और 41,818 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां शामिल हैं। गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों में ऋणों की वसूली (24,616 करोड़ रुपये) और विविध पूंजी प्राप्तियां (17,202 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 12,86,885 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1,57,391 करोड़ रुपये अधिक है।