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रेपो रेट में लगातार दूसरी बार 25 bps की कटौती

रुख बदलकर अकोमोडेटिव किया

जब पूरी दुनिया पर ट्रंप के टैरिफ और इकोनॉमी पर उसके असर को लेकर चिंताएं मंडरा रहीं हैं, इस बीच रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में लगातार दूसरी बार कटौती कर दी है. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की दो दिनों तक चली बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट कटौती करने का ऐलान किया.

रुख बदलकर अकोमोडेटिव किया

रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव कर दिया है. इसके पहले रिजर्व बैंक ने फरवरी की पॉलिसी में रेट कटौती की थी. दो बैक टू बैक रेट कटौतियों के बाद रेपो रेट घटकर अब 6% पर आ गया है. इस कटौती के बाद स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट, जो कि रेपो रेट से 25 बेसिस प्वाइंट कम होता है अब 5.75% है. जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट 6.25% पर है.ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस बात को मानकर चल रहे थे कि वैश्विक मुद्दों के बढ़ने से पहले अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक अप्रैल और जून में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.इकोनॉमिस्ट्स ने ब्लूमबर्ग पोल में 25 बेसिस प्वाइंट के रेट कट की उम्मीद जताई गई थी. महंगाई में कमी, आर्थिक ग्रोथ में धीमापन और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के साथ, कई इकोनॉमिस्ट्स ने माना कि रिजर्व बैंक के पास अब कदम उठाने का मौका है.

अकोमोडेटिव रुख का मतलब

अकोमोडेटिव रुख का मतलब आम तौर पर आसान मॉनिटरी पॉलिसी से है जो अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार की जाती है. इकोनॉमी से जुड़ा न्यूट्रल रुख जो न तो ग्रोथ को प्रोत्साहित करने या महंगाई पर अंकुश लगाने की बात कहता है. रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी का रुख आगे चलकर ब्याज दरों में कटौती का संकेत देता है. न्यूट्रल से अकोमोडेटिव रुख में बदलाव का मतलब है कि भविष्य में या तो ब्याज दरें जस की तस रहेंगी या तो घटेंगी.

आर्थिक स्थिति चिंताजनक: संजय मल्होत्रा

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 26 की शुरुआत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक रही है. पिछले 9 दशकों में रिजर्व बैंक की यात्रा भारत की प्रगति के साथ गहराई से जुड़ी हुई है

मॉनिटरी स्थिरता के संरक्षक के रूप में, रिजर्व बैंक ने खुद को फुल सर्विस सेंट्रल बैंक के रूप में विकसित किया है. वैश्विक आर्थिक स्थिति तेजी से बदल रही है. ग्लोबल ग्रोथ और महंगाई के लिए नई चुनौतियां सामने आ रही हैं. अमेरिकी डॉलर में बढ़ोतरी हुई है, बॉन्ड यील्ड में कमी आई है, इक्विटी बाजारों में करेक्शन देखने को मिल रहा है.

FY26 GDP ग्रोथ अनुमान घटाया

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि ट्रेड को लेकर तनाव की वजह से ग्लोबल ग्रोथ पर असर पड़ेगा जिसका असर घरेलू ग्रोथ पर आएगा. ऊंचे टैरिफ का नेट एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है. भारत ट्रेड पर अमेरिकी प्रशासन के साथ बहुत सक्रियता से जुड़ रहा है. ग्लोबल ग्रोथ पर प्रभाव कितना पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है. कुल मिलाकर, जबकि ग्लोबल ट्रेड और पॉलिसी अनिश्चितताएं विकास को बाधित करेंगी, घरेलू विकास को मैनेज करने में सक्षम होने को लेकर कोई चिंता नहीं है.

गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 26 में कृषि की संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं. जलाशय का स्तर मजबूत बना हुआ है. मैन्युफैक्चरिंग रिवाइवल के संकेत मिल रहे हैं. सर्विस सेक्ट में मजबूती जारी है.

बैंकों और कॉरपोरेट्स की बैलेंस शीट मजबूत है. रियल GDP ग्रोथ FY26 में 6.5% पर रहने का अनुमान है, जो कि पिछली पॉलिसी में 6.7% था यानी 20 बेसिस प्वाइंट की कमी की गई है.

रिटेल महंगाई काबू में

रिजर्व बैंक गवर्न ने कहा कि रिटेल महंगाई अभी हमारे लक्ष्य से नीचे है. जनवरी-फरवरी के दौरान हेडलाइन महंगाई में कमी आई है. खाद्य महंगाई का आउटलुक पॉजिटिव हो गया है. दूसरे एडवांस अनुमानों में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की संभावना जताई गई है, साथ ही खरीफ की अच्छी आवक से खाद्य कीमतों में स्थायी नरमी की संभावना बनती हुई दिख सकती है.

गवर्नर ने उम्मीद जताई कि अगले 3 महीने और एक साल के लिए महंगाई की अनुमानों में तेज गिरावट से मदद मिलेगी. IMD और दूसरे संगठनों के ताजा अनुमानों के मुताबिक इस साल मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक ने FY26 के लिए CPI अनुमान को पिछली बार के 4.2% से घटाकर 4% कर दिया है.

RBI के कुछ और बड़े फैसले

RBI ने बैंकिंग रेगुलेशन, फिनटेक, पेमेंट से जुड़े 6 और फैसलों के ऐलान का भी जिक्र किया. जिसमें रिजर्व बैंक ने बताया कि

  • मार्केट बेस्ड मैकेनिज्म के जरिए स्ट्रेस्ड एसेट्स के प्रतिभूतिकरण को संशोधनों के साथ इजाजत दी जाएगी
  • को-लेंडिंग पर गाइडलाइंस बैंकों, NBFC पर लागू होंगे
  • सभी रेगुलेटेड संस्थाओं, सभी कर्जों के लिए को लेंडिंग नियमों का विस्तार करने का प्रस्ताव
  • गोल्ड लोन को लेकर बैंक, NBFCs के लिए आगे कड़े नियम लाए जाएंगे
  • पर्सन टू मर्चेंट के लिए UPI लेनदेन की सीमा तय करने के लिए NPCI को सक्षम बनाएंगे
  • पर्सन टू मर्चेंट के लिए UPI लेनदेन की वर्तमान सीमा में 2 लाख रुपये है
  • UPI के जरिए पर्सन-टू-पर्नस सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा
  • रेगुलेटरी सैंडबॉक्स को थीम-न्यूट्रल और ऑन-टैप बनाया जाएगा
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