श्रीमद् भागवत की शिक्षा से होती है घर एवं समाज में रामराज्य की स्थापना :पं०सुशील महाराज
भागवत की शिक्षा सुनने से नहीं अपनाने से होता है कल्याण

मां शीतला माता मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत की कथा में आज कथा के चौथे दिवस श्रोताओं को पं०सुशील महाराज ने जानकारी देते हुए बताया है कि श्रीमद्भागवत की कथा की शिक्षा को अमल में लाने से मनुष्य का कल्याण होता है। महाराज श्री ने जानकारी देते हुए बताया है कि कलयुग में अगर धर्म का प्रादुर्भाव ज्यादा है । तो भव मुक्ति से पार होने का रास्ता बहुत ही सरल एवं सुगम है। अन्य युगों में मनुष्य को जन्म -जन्म तक तपस्या करके मुक्ति का मार्ग खोजना पड़ता है ।और कलयुग में केवल नाम सुमिरन से ही मनुष्य भवसागर से मुक्ति मिल जाती है। और मनुष्य का कल्याण हो जाता है ।कलयुग का प्रकोप उन लोगों के ऊपर पड़ता है । जो लोग कलयुग को राजा परीक्षित द्वारा दिए गए पांच स्थान पर कलयुग के अड्डे पर जाते हैं। उन लोगों का विनाश कलयुग कर देता है । और वह व्यक्ति कलयुगी बन जाता है । यदि आप अपने घर में राम राज्य की स्थापना करना चाहते हैं । तो अपने घर एवं समाज की बच्चों बुजुर्गों किसी भी पुरुष को महिला को कलयुग को जो पांच स्थान दिए गए हैं उन पांच स्थानों पर नहीं जाने दें । तो यकीन मानें कि आपके घर में रामराज की स्थापना होने से कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती है। कलयुग को पांच स्थान जो दिए गए हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं। नंबर एक जुआ घर ,नंबर दो वेश्यालय,नंबर 3 मदिरालय, नंबर चार हिंसालय ,नंबर पांच स्वर्ण (सोना)यह पांच स्थान राजा परीक्षित ने कलयुग को रहने के लिए प्रदान किए थे । जो व्यक्ति इन पांच स्थानों से दूर रहेगा उसके ऊपर आजीवन कभी भी कलयुग का कोई भी दुष्प्रभाव उसके जीवन में हावी नहीं होगा । लागू नहीं होगा । श्रीमद्भागवत की कथा डॉक्टर मायाराम अटल, श्री भैरव सिंह रजक ,एवं कार्यक्रम के संरक्षक श्री विजय सिंह द्वारा की गई । पंडाल में जनता को व्यवस्थित बिठाने के लिए व्यवस्था श्री कृष्णा राठौर , दिनेश शर्मा,लखन परमार , दयाराम लोधी ,सुनील विश्वकर्मा, द्वारा संभाली गई।