वक़्फ़ क़ानून के विरोध में धूप में हज़ारों की संख्या में धरने पर बैठे लोग
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा किया गया धरना

भोपाल। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेम्ब्र एवं विधायक आरिफ मसूद एवं शहर क़ाज़ी सै. मुश्ता़क़ अली नदवी सा. की सरपरस्तीद में रखे गए धरने में हज़ारों की संख्याि में तपती धूप में बैठे लोगों ने वक़्नफ़ क़ानून का विरोध किया एवं मुल्क में शांति अमनो अमान की दुआ के साथ धरने का समापन हुआ।
इस अवसर पर आरिफ़ मसूद ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन क़ानून का विरोध इसलिए वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2025 केंद्र सरकार की एक घिनौनी साज़िश है, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को उनके कब्रिस्तानों और ख़ैराती संस्थानों से वंचित करना है। इस कानून के सहारे हमारे हाथ से सैकड़ों मस्जिदें, ईदगाहें, मदरसे, कब्रिस्तान और अनेक धार्मिक व समाजसेवी संस्थाएं छीन ली जाएंगी।
मौजूदा वक़्फ़ कानून में अनेक संशोधनों के ज़रिए वक़्फ़ की संपत्तियों को हड़पने की एक सुनियोजित साज़िश की जा रही है, जैसे कि:
1. इस नए कानून के माध्यम से वक़्फ़ से जुड़े बुनियादी उसूलों को ही बदलने की कोशिश की गई है।
2. वक़्फ़ बोर्ड के सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है और अब उनके चयन के लिए केवल नामांकन की व्यवस्था कर दी गई है।
3. वे वक़्फ़ संपत्तियाँ जिन पर सरकार पहले ही दावा करती रही है, अब इस कानून के तहत उन्हें सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया गया है।
4. जितनी भी एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित इबादतगाहें हैं, यदि वे वक़्फ़ घोषित भी हैं, तो इस कानून के तहत उन्हें अब वक़्फ़ नहीं माना जाएगा।
5. अन्य धार्मिक संपत्तियों के मामलों में समयसीमा (लिमिटेशन लॉ) लागू नहीं होती, लेकिन इस संशोधित कानून में वक़्फ़ संपत्तियों पर समयसीमा लागू कर दी गई है, जिससे अवैध कब्जेदारों और अतिक्रमणकारियों को कानूनी संरक्षण मिलेगा।
6. इस संशोधित कानून में वक़्फ़ से जुड़ने के लिए पाँच वर्ष से प्रैक्टिसिंग मुसलमान होने की एक अनावश्यक और अनुचित शर्त लगा दी गई है।
7. वक़्फ़ बोर्ड की अहमियत को खत्म करने के लिए इसके चेयरमैन के लिए मुसलमान होने की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया है।
8. पहले वक़्फ़ समितियों में केवल मुसलमान सदस्य ही होते थे, लेकिन अब इस संशोधन के ज़रिए गैर-मुस्लिमों को भी सदस्य बनने का रास्ता खोल दिया गया है — जबकि हिन्दू व सिख धार्मिक न्यासों में किसी दूसरी कौम के व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया जाता। फिर भी मुसलमानों के वक़्फ़ में ऐसी अन्यायपूर्ण व्यवस्था लागू की जा रही है।
9. वक़्फ़ से जुड़ी विवादित संपत्तियों का पूर्ण अधिकार ज़िला मजिस्ट्रेट को दे दिया गया है, जो कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
10. अब वक़्फ़ ट्रिब्यूनल की स्थिति और अधिकारों को भी खत्म कर दिया गया है।
11. वक़्फ़ की “बाई यूज़र” (By User) वाली ऐतिहासिक संपत्तियों की मान्यता को समाप्त कर दिया गया है, जिससे पुराने और सैकड़ों वर्षों से स्थापित वक़्फ़ की संपत्तियों को हड़पने का रास्ता साफ हो गया है।
12. इस संशोधित कानून से केवल दो वर्गों को लाभ मिलेगा — पहला सरकार और दूसरा अवैध कब्जाधारी। सरकार की मंशा यह है कि समाज में नए धार्मिक विवाद और समस्याएं पैदा हों, जिससे देश में अशांति फैले।
धरने को संबोधित करने वालों में क़ाज़ी सै. मुश्ताक अली साहब नदवी क़ाज़ी-ए-शहर भोपाल, मौलाना सै. बाबर हुसैन साहब नदवी नायब क़ाज़ी भोपाल, मौलाना अली कदर साहब नदवी नायब क़ाज़ी भोपाल, मुफ्ती रईस अहमद खान साहब कासमी नायाब मुफ्ती भोपाल, मौलाना शराफत रहमानी साहब नायब क़ाज़ी भोपाल, मौलाना मोहम्मद अहमद खान साहब सदर जमीयत उलमा म.प्र., जनाब हाजी हारुन खान साहब एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट सदर जमीअत उल उलमा म.प्र, जनाब हामिद खान साहब सदर जमात-ए-इस्लामी मप्र, जनाब मौलाना उमर खान साहब जिम्मेदार उलेमा जमाते इस्लामी भोपाल, अहले सुन्नत वल जमात के सदर नूरुद्दीन सक़लैनी साहब,ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर मौलाना मसीह आलम साहब, मुफ़्ती ज़काउल्लाह शिबली सा. इंदौर।