पंडित नेहरू और डॉक्टर अंबेडकर में क्यों हुआ मतभेद, डॉक्टर अंबेडकर को किसने दिलाया भारत रत्न, जानते हैं अंबेडकरवादी डॉक्टर मोहन पाटिल के विचार

भोपाल।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर दिए गए एक बयान के बाद पूरे देश भर में सियासत की जा रही है। देश के विभिन्न दल इस बयान को डॉ बी आर अंबेडकर का अपमान बताकर राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास कर रहे और खुद को दलितों का हितैषी साबित करने में लगे हुए हैं। जैसा की विदित है कि भारत देश की आजादी के बाद जब संविधान का निर्माण किया जा रहा था तो प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर बी आर अंबेडकर की नियुक्ति की गई थी और उनके नेतृत्व वाली समिति नहीं संविधान का प्रारूप तैयार किया था। डॉ बी आर अंबेडकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार में कानून मंत्री भी थे। संविधान में हिंदू एक्ट बिल और अनुच्छेद 370 को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉक्टर बी आर अंबेडकर के भी वैचारिक मतभेद थे। इसे लेकर हम अंबेडकरवादी विचारक और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मोहन पाटिल से जानते हैं उनके विचार-
राजधानी के तुलसी नगर स्थित रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यालय में 76 वां गणतंत्र दिवस मनाया गया ।इस अवसर पर डॉक्टर मोहन पाटिल से इस संबंध में चर्चा की गई। डॉक्टर पाटिल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बयान पर कहा कि अमित शाह जी ने जिस अंदाज में कहा वह ठीक नहीं है उन्हें खेद व्यक्त करना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर मोहन पाटिल ने कहा कि आज देश तरक्की की ओर जा रहा हम बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है भारत विकसित देशों की सूची में शामिल हो रहा है। हमें निर्माण की राजनीति करनी चाहिए। डॉक्टर पाटिल ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दल बाबा साहब का नाम लेकर राजनीति करते हैं। आम आदमी पार्टी ने बाबा साहब की फोटो लगाकर दिल्ली और पंजाब दो राज्यों में चुनाव जीत लिया।
240 पर सिमट गई भारतीय जनता पार्टी
पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 400 पार का नारा दिया लेकिन लोगों को लगा कि यदि भाजपा 400 सीटें हासिल कर लेती है तो बाबा साहेब का संविधान बदल देगी। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के कुछ लोगों ने संविधान में बदलाव का बयान दिया था।
कांग्रेस समझ चुकी है कि बाबा साहब के बिना आगे नहीं बढ़ सकते
डॉक्टर पाटिल ने कहा कि अब कांग्रेस के भी समझ में आ गया है कि बाबा साहब का सहारा लिए बगैर आगे नहीं बढ़ सकते हैं। संविधान निर्माण के बाद कांग्रेस को लगा था कि अब काम हो गया इसलिए भुला दिया गया था लेकिन अब महू से संविधान यात्रा निकाल रही है।
संविधान लागू होने के 40 साल बाद डॉ. अम्बेडकर को मिला भारत रत्न
यह पूछने पर कि डॉक्टर अंबेडकर को भारत रत्न देरी से क्यों मिला। डॉक्टर मोहन पाटिल ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान लिखने के बाद सम्मान नहीं दिया। उन्हें लगा कि काम हो गया है जबकि इस दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारें रहीं लेकिन 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने बाबा साहब को भारत रत्न दिया। डॉक्टर पाटिल ने कहा कि हम बाबा साहब को मानने वाले लोग हैं हम उनका सम्मान करते हैं और करते रहेंगे।
: डॉ अंबेडकर और पंडित नेहरू में वैचारिक मतभेद थे
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉक्टर बी आर अंबेडकर में वैचारिक मतभेद थे क्योंकि नेहरू जी सत्ता में थे और बाबा साहब विपक्षी दल में थे उनके बीच हिंदू एकता बिल और अनुच्छेद 370 को लेकर भी मतभेद रहे और इसी वजह से उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था बाबा साहब महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में थे ।साथ ही बाबा साहब समानता के पक्षधर थे जम्मू कश्मीर को 370 अनुच्छेद के माध्यम से विशेष राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। इस वजह से उन्होंने पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल से ही इस्तीफा दे दिया था।