मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति संघ मंत्रालयीन शाखा द्वारा मंत्रालय में सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, सत्यशोधक समाज के स्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई गई

अजाक्स मंत्रालय इकाई के अध्यक्ष श्री घनश्याम भकोरिया ने बताया कि दिनांक 11 अप्रैल, 2025 को मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति संघ मंत्रालयीन शाखा द्वारा मंत्रालय में भोजन अवकाश में दोपहर 1:30 बजे सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, सत्यशोधक समाज के स्थापक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश अजाक्स के प्रांतीय महासचिव श्री गौतम पाटिल और प्रांतीय सचिव श्री एम.सी. अहिरवार जी मुख्य रूप से उपस्थित रहें। महात्मा ज्योतिबा फुले जी के छायाचित्र पर पुष्पमाला अर्पित कर उन्हें याद किया गया। एम.सी. अहिरवार, प्रांतीय सचिव, म.प्र. अजाक्स- ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के थे। उनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था। वे 19 वीं सदी के भारत के सामाजिक समानता, महिला शिक्षा औद दलितों व शोषित वर्गो के उत्थान के लिए किए गए कार्यो के लिए प्रसिद्ध हैं।

गोतम पाटिल, प्रांतीय महासचिव, म.प्र. अजाक्स- महात्‍मा ज्‍योतिबा फुले को ‘‘महात्मा’’ की उपाधि उनके सामाजिक योगदान के लिए दी गई। वह अपने एक मित्र की शादि में गये थे शूद्र होने के कारण उन्हें शादि में शामिल नहीं होने दिया और वापिस आना पड़ा इस घटना से व्यथित होकर उन्होंने सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और महिलाओं के प्रति अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और आवास उठाई उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का आधार है।

घनश्याम भकोरिया अध्यक्ष, अजाक्स मंत्रालयीन शाखा- महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपनी पत्नी साबित्री बाई फुले को घर पर ही शिक्षा दी। ज्योतिबा फुले ने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए भारत में पहला स्कूल खोला। यह उस समय एक क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि लड़कियों की शिक्षा को समाज में महत्व नहीं दिया जाता था। उनकी पत्नी देश की पहली महिला शिक्षिका थी। 1873 में आपने सत्यसोधन समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सत्य की खोज और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना था। विधवाओं के प्रति समाज के अमानवीय व्यवहार का विरोध किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह प्रोत्साहित किया। अनाथालय की स्थापना की, जहॉं विधवाओं और उनके बच्चों को आश्रय और सहायता प्रदान की जाती थी।इस अवसर पर श्रीमती विमला हिरकने, सुनीला कोतुलकर, याशोदा ठाकुर, एस.सी. ओसले, पहलाद नरवारे, हेमन्त सिंह रावत, हरिशंकर अहिरवार चन्द्रपाल बाथम, दिलीप मोरी, राजकुमार अहिरवार, कमल मेहरा, बसंत मेश्राम आदि उपस्थित रहें।

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