भील आदिवासियों ने अपनी जमीन पर गौशाला खोले जाने के प्रस्ताव का किया विरोध
22 वर्षों से कर रहे खेती, पट्टा दिए जाने की मांग की
भोपाल, 22 अक्टूबर। राजधानी के समीप बरखेडी अब्दुल्ला विकासखण्ड तहसील हुजूर के भील आदिवासियों ने अपनी जमीन पर प्रस्तावित गौशाला खोले जाने का विरोध किया है। यहां पर खसरा क्रमांक 126 में 75.3400 हेक्टेयर (186 एकड़ के लगभग एवं खसरा क्रमांक 143 में 39.1000 हेक्टेयर (96 एकड़ के लगभग) भूमि पर दो दशक से अधिक समय से भील आदिवासियों के 25 परिवार खेती कर रहे हैं। उनकी जमीन पर अब गौशाला खोला जा रहा है जिससे भील आदिवासियों के लिए आवास और भरण पोषण का संकट हो जाएगा। आदिवासियों ने जमीन का पट्टा दिए जाने के लिए सरकार से गुहार लगाई है। शुक्रवार को काफी संख्या में किसान पुरुष और महिलाएं भोपाल पहुंचे थे। बता दें कि भील जनजाति वर्ग के ग्रामीणजन है जो इस भूमि पर लगभग 22 वर्षों से कृषि कार्य करते चले आ है और अपने परिवार का पालन-पोषण कृषि कार्य करके करते हैं । विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि हम गरीब आदिवासियों की भूमि पर गौशाला के नाम पर किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को आवंटन करने की प्रक्रिया शासन स्तर पर प्रचलित में है। जबकि इस जमीन पर भील आदिवासी लगभग 22 वर्षों से काबिज हैं और भूमि का उनके द्वारा राजस्व विभाग में जुर्माना शुल्क भी जमा किया गया है। आदिवासियों के मुताबिक भूमि का उन्हें पट्टा न देकर घोर अन्याय किया जा रहा है । जल, जंगल और जमीन की बात करने वाली सरकार भूमि से बेदखल कर रही है। जिससे भील आदिवासियों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पडेगा । आदिवासियों द्वारा वन एप मित्र पर ऑनलाईन पट्टे का आवेदन किया था जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। भील आदिवासियों ने कहा कि शासन ने उनके साथ इस प्रकार का विश्वासघात किया तो वे भूख हड़ताल एवं आमरण अनशन करने के लिए बाध्य होंगे। भील आदिवासियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कांग्रेस नेताओं से भी मुलाकात की। शिकायत करने वालों में रतन सिंह, कसना,बालू,अमर, नाना जी, राजू कालिया और चैन सिंह सहित काफी संख्या में पुरुष और महिलाएं शामिल थे।