मध्य प्रदेश

राज्यपाल मंगू भाई पटेल के निर्देशन में मध्यप्रदेश सरकार ने लिया अभूतपूर्व निर्णय

म . प्र. में 15 नवम्बर , राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस पर आजीवन कारावास के 32 कैदी को समय – पूर्व मिलेगी रिहाई  जिसमें 0 9 आदिवासी बंदी हैं I  मध्यप्रदेश शासन , जेल विभाग मंत्रालय ने दिनांक 7 नवंबर 2025 को आदेश जारी किया।धरती आबा भगवान बिरसा मुण्ड़ा की 150  वी जन्म  शताब्दी के अवसर पर मध्यप्रदेश में लिए गए निर्णय से अब प्रतिवर्ष 15 नवम्बर ( राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस ) पर आजीवन कारावास के बंदियों को शासन द्वारा समय – पूर्व रिहा किया जाने की शुरुआत हुई । इस निर्णय के साथ ही  मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना जहां वर्ष में पांच बार आजीवन कारावास के दंडित बंदियों को, दिशा- निर्देशों में पात्रता अनुसार सजा से छूट प्रदान कर समय -पूर्व रिहाई दी जाएगी। मध्यप्रदेश शासन जेल विभाग मंत्रालय ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा – 432 ,सहपठित धारा – 433 एवं धारा – 433(क)(भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता , 2023 की धारा 4 73, सहपाठित 474 एवं 475)में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आजीवन कारावास के बंदियों को नई रिहाई नीति द्वारा 15 नवम्बर ( राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस ) को शामिल कर 05 अवसरों पर सजा में छूट प्रदान करने का प्रावधान कीया I मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सरकार के एतिहासिक निर्णय ने 15 नवम्बर, “राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस”  को राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख  चार दिवसों के समकक्ष महत्वपूर्ण दिवस बना दिया। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने  यह स्पष्ट कर दिया है कि हम अपने जनजाति समाज के योगदान को सम्मानपूर्वक गौरव के साथ स्वीकार करते हैं।राष्ट्रीय़ स्तर के प्रमुख चार  दिन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण पड़ावों का प्रतीक है , इन चार राष्टीय प्रमुख दिवसो पर पूरे देश में आजीवन कारावास के कैदियों को उनके अच्छे आचरण को देखते हुए समय-पूर्व रिहाई दि जाती है जैसे स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) ब्रिटिश शासन से मुक्ति का प्रतीक है , गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) संविधान लागू होने और भारत को एक गणराज्य बनने का उत्सव हैं , गांधी जयंती ( 2 अक्टूबर) राष्ट्रपिता की जयंती और डा. भीमराव अंबेडकर जयंती ( 14 अप्रैल) समानता दिवस का प्रतीक ठीक उसी प्रकार भगवान बिरसा मुण्ड़ा जयंती (15 नवम्बर) राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस जो जनजाति समाज की परम्परागत प्राचीन सनातन संस्कृति के संरक्षण,  “स्वधर्म” से “स्वराज” की स्थापना के संघर्ष और अस्मिता के पुर्नजागरण के प्रतीक  के रूप में स्मरण करने का दिन है।राज्यपाल के इस निर्णय ने समाज में यह संदेश दीया कि राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस केवल जलजनित समुदाय आधारित दिन नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग का दिन है तभी तो  पात्रता नियमानुसार आजीवन कारावास के हर वर्ग के 32 बंदियों को समय पूर्व को रिहा किया जा रहा है।
डॉ दीपमाला रावत
विषय विशेषज्ञ ,जनजातीय प्रकोष्ठ ,राजभवन
भोपाल मप्र

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button