‘गर्भ में पल रहे भ्रूण को भी जीने का मौलिक अधिकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अविवाहित महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने 27 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि गर्भ में पल रहे भ्रूण को भी जीने का मौलिक अधिकार है।न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के तीन मई के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। पीठ ने कहा कि महिला के वकील से कहा कि हम कानून के विपरीत कोई आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। पीठ ने आगे कहा कि गर्भावस्था की अवधि अब सात महीने से अधिक हो गयी है।


पीठ ने महिला के वकील से पूछा कि बच्चे के जीवित रहने के अधिकार के बारे में क्या, जिस पर वकील ने कहा कि भ्रूण गर्भ में है और जब तक बच्चा पैदा नहीं हो जाता, यह मां का अधिकार है। वकील ने यह भी तर्क दिया कि महिला की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर विचार किया जाना चाहिए, जिस पर पीठ ने कहा हमें क्षमा करें।