दिल्ली के बेबी केयर अस्पताल में आग लगने से 7 बच्चों की मौत

नई दिल्ली: विवेक विहार के C-54 स्थित बेबी केयर न्यूबोर्न अस्पताल में नवजातों के मौत की सूचना जब परिवारवालों को लगी तो मानो आंखों के सामने अंधेरा छा गया। आंखों में आंसू लिए माता-पिता अपने बच्चों की पहचान के लिए जीटीबी अस्पताल के मोर्चरी में भटकते रहे। पहले न तो अस्पताल वाले उन्हें कुछ बता रहे थे न ही पुलिस वाले। पुलिसकर्मी भी काफी देर से मोर्चरी में पहुंचे। काफी देर तक उन्हें पुलिसवाले का इंतजार करना पड़ा। बाद में उन्हें बारी-बारी से पहचान के लिए भेजा गया। पुलिस भी मेडिकल रिपोर्ट आने का इंतजार करती रही। जान गंवाने वाले नवजातों में न केवल दिल्ली बल्कि यूपी के रहने वाले परिवार के भी बच्चे हैं।
अस्पताल प्रशासन ने न सूचना दी न पुलिस ने बताया
ज्यादातर बच्चों को सांस लेने में तकलीफ थी। इसके अलावा कुछ नवजात पेट में इंफेक्शन और बुखार से पीड़ित थे। पीड़ित परिवारों का कहना है कि वह लोग गरीब परिवार से हैं। फिर भी इलाज के लिए एक-एक पैसे जोड़कर हर दिन 10 से 15 हजार रुपये दे रहे थे। लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते उनके बच्चों की मौत हो गई। ज्यादातर परिवार का आरोप था कि उन्हें सूचना भी नहीं थी कि अस्पताल में आग लगने के चलते अपने बच्चे को खो दिया है। आग शनिवार रात को लगी लेकिन न तो अस्पताल प्रशासन ने उन्हें सूचना दी न ही पुलिसवालों ने। उन्हें सुबह में पड़ोसियों ने बताया कि जिस अस्पताल में उन्होंने अपने बच्चे को भर्ती कराया था, उसमें आग लग गई है। चैनल पर आग लगने की सूचना के बाद वह लोग अस्पताल गए। फिर वहां से जीटीबी अस्पताल के मोर्चरी पहुंचे। लेकिन यहां भी पुलिसवाले उनकी मदद नहीं कर रहे थे। ज्यादातर पुलिसवाले दस बजे के बाद ही वहां पर पहुंचे। उसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
मां को पता ही नहीं कि बुझ गया चिराग
पवन कसाना बागपत, यूपी के रहने वाले हैं। वह यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। उन्होंने बताया कि छह दिन पहले ही उन्हें पहला बच्चा हुआ था। वह भी नॉर्मल। लेकिन बाद में पता चला कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। तब अस्पताल वालों ने विवेक विहार स्थित इस अस्पताल में रेफर किया था। अब तक उनकी पत्नी को पता नहीं है कि बेटे की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उन्हें चैनल और रिश्तेदारों से आग लगने के बारे में सूचना मिली। तब वह दिल्ली पहुंचे। अब तक इलाज के नाम पर 80 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई सूचना भी नहीं दी गई।
एक और बेटे की पहले जा चुकी है जान
विनोद शर्मा (37) परिवार के साथ ज्वाला नगर इलाके में रहते हैं। विनोद के भाई अमित शर्मा ने बताया कि शनिवार सुबह ही 5:00 बजे उन्होंने अपने भतीजे को भर्ती कराया था। लेकिन सुबह 7:00 बजे पता चला कि अस्पताल में आग लगने से भतीजे की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि परिवारवाले दूसरे बेटे के आने से काफी खुश थे। पहले भी एक बार उनका अबॉर्शन हो गया था। उसके बाद एक बेटा हुआ। लेकिन एक साल पहले ही उसकी भी मौत हो गई। तब से उनकी भाभी ज्योति काफी परेशान थी। इस बच्चे के आने के बाद घरवाले काफी खुश थे। लेकिन बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। तब शनिवार सुबह ही उसे अस्पताल में भर्ती कराया था।
पेट में इंफेक्शन के चलते पोते को कराया था भर्ती
नेहरू विहार की रहने वाली सितारा खातून ने बताया कि बुधवार को उनके पोते का जन्म हुआ था। सभी बहुत खुश थे। लेकिन पता चला कि बच्चे के पेट में इंफेक्शन है। वह रो भी नहीं रहा था। उसका वजन हालांकि 3 किलो से अधिक था। लेकिन इंफेक्शन के कारण बच्चे को भर्ती कराया। उन्होंने बताया कि वह लोग गरीब हैं लेकिन बच्चे की इलाज में 60 से 70 हजार रुपये अस्पताल को दे चुके थे। अस्पताल वाले बच्चे को देखने भी नहीं दे रहे थे। बस बता देते थे कि बच्चा ठीक है। आग लगने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने उन्हें सूचना नहीं दी। न्यूज चैनल से आग लगने का पता चला। तब वह अस्पताल पहुंचीं। फिर वहां से मोर्चरी आई हैं। उन्हें दोपहर तक बच्चे को दिखाया भी नहीं गया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।