अध्यात्म

क्या प्रसाद की तरह हर किसी को ज्योतिष सिखाना उचित है ❓❓


आओ समझें ज्योतिष-तंत्र के रहस्य—–
राजज्योतिषी:- पं. कृपाराम उपाध्याय “भोपाल”
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आजकल सोसल मीडिया पर, ग्रुपों में तथा कुछ दिनों के शशुल्क कोर्स चलाकर पात्र-कुपात्र की परवाह किए बिना ज्योतिष सिखाने वालों की बाढ़ सी आ गयी है, जबकि सच तो ये है कि ऐसी शिक्षा देने वाले भी , महिने दो महिने का कोर्स करके उसमे प्राप्त अधकचरी ज्योतिष जानकारियां जुटाकर स्लेवर्स तैयार करते हैं और गुरू बनकर कोर्स चलाकर धन कमाना सुरू कर देते हैं जबकि इनमें से अधिकतर को… नक्षत्र (नक्षत्राअक्षर) तथा राशि (राशिअक्षर) तक मौखिक याद नहीं होते। इनको ये भी जानकारी नहीं कि ज्योतिष सिखाने के बेसिक वैदिक नियम क्या हैं ❓

किसको सिखाऐं और किसको नहीं…….पाराशरी के निर्देश:- 👇🏽👇🏽

*सूर्यं नत्वा ग्रहपतिं*।*
*जगदुत्पक्ति कारणम ।।*
*वक्ष्यामि वेदनयनं यथा।*
*ब्रह्म मुखाच्छु़तम् ।।*
(बृ.पा.हो.शा.- श्लोक ४)
संसार की उत्पत्ति के कारण, ग्रहों के स्वामी सूर्य को नमस्कार करके जैसा ब्रह्मा के मुख से वर्णित है वैसा ही वेदों के नेत्र (ज्योतिष शास्त्र) को वर्णित करते हैं।

*शान्ताय गुरुभक्ताय*
*ऋजवेSर्चितस्वामिने ।*
*आस्तिकाय प्रदातव्यं*
*तत: श्रेयो ह्मवाप्स्यति।।*
(बृ.पा.हो.शा.- श्लोक ५)
इस शास्त्र ज्ञान को शांत स्वभाव, गुरु भक्त, सीधे सहज, स्वामीभक्त और आस्तिक को ही देना चाहिए । इससे कल्याण की प्राप्ति होती है

*न देयं परशिष्याय ,*
*नास्तिकाय, शठाय च ।*
*दत्ते प्रतिदिनं दु:खं*
*जायते नाSत्र संशय: ।।*
(बृ.पा.हो.शा.- श्लोक ६)
दूसरे के शिष्य को, नास्तिक और मुर्ख को ज्योतिष ज्ञान नहीं देना चाहिए । ऐसा करने से प्रतिदिन दु:ख होता है इसमें कोई संशय नहीं है।
*अब अनुमान लगाइऐ कि इस तरह बिना पात्रता जाने और बिना बेसिक मजबूत किऐ (१५ दिन, महिने, दो महिने में मनमानी फीस लेकर आधा अधूरा) ज्योतिषीय कोर्स चलाने वाले अथवा सोसल मीडिया पर ज्ञान बांटने वाले, कितना अनर्थ कर रहे हैं ज्योतिष व समाज का।। धन या मान की लालसा में कितना पाप कमा रहे हैं ऐसे लोग, एक सच्चे हृदय से चिंतन अवस्य करें।।*
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भैरवी साधक
*राजज्योतिषी:- पं. कृपाराम उपाध्याय*
(ज्योतिष तत्वज्ञ एवं तंत्रज्ञ)
*भोपाल “म प्र” , मोबा. 7999213943*
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