खबरमध्य प्रदेश

विश्‍व सिकलसेल दिवस (19 जून ) पर सारिका घारू का स्‍वप्रयास

विवाह के पूर्व जागरूकता ही रोक सकती है जन्‍मजात रोग सिकलसेल का फैलाव – सारिका

शादी के पहले सिकलसेल कुंडली का मिलान रोक सकता है सिकलसेल का फैलाव– सारिका घारू

मध्‍यप्रदेश के आदिवासी अंचल में फैली सिकल सेल बीमारी को रोकने सारिका का प्रयास

एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में पहुंचने वाले सिकलसेल रोग का उन्‍मूलन सिर्फ जागरूकता से ही हो सकता है। विवाह के पहले यह देखा जाये कि लड़का एवं लड़की जिनकी शादी होने जा रही है कहीं वे दोनो सिकलसेल रोगी तो नहीं है । अगर हैं तो उनका विवाह नहीं किया जाये । यह बात नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने विश्‍व सिकलसेल दिवस पूर्व जागरूकता कार्यक्रम में कही । संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा द्वारा 19 जून को सिकलसेल रोग को सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता के रूप में मान्‍यता का संकल्‍प अपनाया गया था । इसलिये 19 जून को विश्‍व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है । सारिका ने बताया कि इस अनुवांशिक बीमारी के फैलाव को रोकने के लिये अब तक मध्‍यप्रदेश में 1 करोड़ से अधिक लोगों की सिकलसेल स्‍क्रीनिंग हो चुकी है । तथा इनमें से लगभग 80 लाख लोगों को सिकलसेल कार्ड भी दिये जा चुके हैं । सारिका ने बताया कि वे विगत 4 वर्षो से निरंतर सरल एवं रोचक तरीके से सिकल सेल के लक्षण एवं विवाह पूर्व सिकल सेल कुंडली मिलाने का संदेश दे रही है । अब तक मध्‍यप्रदेश के 12 आदिवासी बहुल जिलों में पोस्‍टर एवं पपेट शो के माध्‍यम से जागरूकता कार्यक्रम कर चुकी हैं । क्‍या होता हे सिकलसेल रोग – सारिका ने बताया कि सिकलसेल रोग में लाल रक्‍त कोशिकायें गोल तथा नरम न होकर कठोर और हंसिये के आकार की हो जाती हैं । ये कोशिकायें कई बार धमनियों में जम कर रक्‍त प्रवाह में रूकावट पैदा करती है जो कि दर्द के साथ जानलेवा भी हो जाता है । बीमारी का पता जन्‍म के एक साल के अंदर लग जाता है। संक्रमण, सीने में दर्द , जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं । यह जन्‍मजात रोग है । इसे रोकने की अब तक कोई दवाई नहीं है । मध्‍यप्रदेश में क्‍या है स्थिति –सारिका ने जानकारी दी कि मध्‍यप्रदेश में 1 करोड़ से अधिक लोगों की सिकलसेल स्‍क्रीनिंग की गई जिनमें से लगभग 2 लाख लोग सिकलसेल वाहक के रूप में पाये गये । इसके साथ ही 29 हमार 277 लोग सिकलसेल रोग के पीडि़त पाये गये । इनमें से 26 हजार 115 रोगियों के इलाज के लिये हाइड्रोक्‍सीयूरिया मेडिसिन का उपयोग किया जा रहा है जो कि लालरक्‍त कणिकाओं के सिकलीकरण को कम करती है । कैसे रोक सकते हैं रोग का फैलाव – सारिका ने बताया कि अनुवांशिक रोग सिकलसेल रोग को विवाह पूर्व रिश्‍ते तय करते समय सिकल सेल जांच करवा कर इसका फैलाव रोका जा सकता है । सिकल सेल रोगी दो प्रकार के होते हैं- एक रोगी और दूसरा वाहक । यदि माता-पिता दोनो सिकलसेल रोगी होंगे तो उनके सभी बच्‍चे सिकल सेल रोगी होंगे । अत: रोगी या वाहक का किसी सामान्‍य पार्टनर के साथ विवाह करके रोग के फैलाव को रोका जा सकता है ।

 

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