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रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया शिक्षक दिवस

पाँच श्रेणियों में 28 शिक्षकों को “वनमाली उत्कृष्टता पुरस्कार 2025” से किया गया सम्मानित किया गया 

भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में आज शिक्षक दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवि प्रकाश दुबे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में सुश्री टिनी तारे पांडेय (प्रोजेक्ट ऑफिसर, महिला एवं बाल विकास विभाग, म.प्र. शासन) तथा सुश्री ज्योति रात्रे (मोटिवेशनल स्पीकर एवं सबसे अधिक उम्र की भारतीय महिला पर्वतारोही) शामिल रहीं। प्रति-कुलपति डॉ. संजीव कुमार गुप्ता, कुलसचिव डॉ. संगीता जौहरी तथा कार्यक्रम समन्वयक व डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. शीतल गुलाटी ने भी विशेष उपस्थिति दर्ज कराई।

इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान के वाहक नहीं बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। वे विद्यार्थियों के जीवन को सही दिशा देने के साथ-साथ उन्हें संस्कार और मूल्यों से भी जोड़ते हैं। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल डिग्री तक सीमित नहीं है बल्कि अच्छे इंसान बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक भविष्य की नींव तैयार करते हैं। उनका योगदान सदैव अमूल्य और प्रेरणादायी रहेगा।

इस मौके पर सुश्री टिनी तारे पांडेय ने प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा कि शिक्षा के बिना समाज की प्रगति संभव नहीं है। शिक्षक बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की निष्ठा और परिश्रम से ही समाज में सकारात्मक बदलाव आता है। शिक्षक ही वह शक्ति हैं जो पीढ़ियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाते हैं। उनके योगदान का सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है।

इस अवसर पर सुश्री ज्योति रात्रे ने कहा कि जीवन की ऊँचाइयों तक पहुँचने में शिक्षक ही वह आधारशिला हैं जो हमें आगे बढ़ने का साहस देते हैं। कठिन परिस्थितियों में भी उनके मार्गदर्शन से विद्यार्थी नई राह बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक विश्वास और आत्मबल का संचार करते हैं। उनके सान्निध्य से विद्यार्थी अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत पाते हैं। शिक्षक वास्तव में भविष्य निर्माता हैं।

वहीँ डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि शिक्षक केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं होते, वे विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। उनका मार्गदर्शन छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षक ज्ञान और तकनीक के संतुलन को बनाए रखने की भूमिका निभा रहे हैं। शिक्षा को व्यवहारिक और उपयोगी बनाने में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। शिक्षक ही समाज की सबसे बड़ी पूँजी हैं।

कार्क्रम के शुभारम्भ अवसर पर स्वागत भाषण देते हुवे डॉ. संगीता जौहरी ने कहा कि शिक्षक दिवस हमें अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि हर छात्र की सफलता के पीछे उसके गुरु का अमूल्य योगदान होता है। शिक्षक सदैव निस्वार्थ भाव से विद्यार्थियों के भविष्य को गढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विकास की धुरी शिक्षक ही हैं। यह दिवस उनके समर्पण और मेहनत को नमन करने का प्रतीक है।

कार्यक्रम के दौरान “वनमाली उत्कृष्टता पुरस्कार 2025” के अंतर्गत पाँच श्रेणियों में 28 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया गया। पहली कैटेगरी में एकेडमिक एक्सीलेंस अवॉर्ड में बेस्ट टीचर अवार्ड, बेस्ट मेंटर अवार्ड, दूसरी कैटेगरी में रिसर्च एंड इनोवेशन अवार्ड में एक्सीलेंस इन रिसर्च, इनोवेशन इन हायर एजुकेशन, बेस्ट डिपार्टमेंटल रिसर्च कोआर्डिनेटर (DRPC), इमर्जिंग रिसर्चर अवार्ड, तीसरी कैटेगरी कम्युनिटी एंड इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट अवार्ड में कंट्रीब्यूशन टू इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट, सोशल इंपैक्ट एंड कम्युनिटी इंगेजमेंट अवार्ड, बेस्ट लीडरशिप इन एकेडमिक एडमिनिस्ट्रेशन, चौथी कैटेगरी स्टूडेंट सेंट्रिक अवार्ड में मोस्ट पॉपुलर टीचर (स्टूडेंट चॉइस अवॉर्ड), कैरियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सपोर्ट अवार्ड और पांचवी स्पेशल कैटेगरी में डिस्टिंग्विश्ड सर्विस अवार्ड इन हायर एजुकेशन में उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला में कविता पाठ, नृत्य, गीत, खेल और फैकल्टी एवं छात्रों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। डेज़ी मैम ने ‘ओणम’ पर विचार साझा किए और गीतांजलि मैम ने भावपूर्ण काव्य पाठ किया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत गीत, नृत्य और समूह नृत्य ने समारोह को उल्लासपूर्ण बना दिया।

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