शिशु रोग विशेषज्ञों ने बीमारियों के कारण और निदान पर रखे विचार
राजधानी में जुटे देशभर से शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक



भोपाल। भारतीय शिशुरोग अकादमी की मध्य प्रदेश शाखा द्वारा वार्षिक कॉन्फ़्रेंस एवं वर्कशॉप का आयोजन भोपाल मुख्य शाखा में 12 दिसंबर से 14 दिसंबर 2025 तक किया जा रहा है। भोपाल को 10 साल बाद कांन्फ्रेंस की मेजबानी का मौका मिला है। सम्मेलन में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने विचार साझा किए और बीमारियों के कारण और निदान पर अपनी बातें रखीं और शोध पत्र पेश किए गए। इस दौरान सवाल और जवाब भी किए गए जिसमें विशेषज्ञों ने बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। शहर के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीके अग्रवाल ने कहा कि इस कॉन्फ़्रेंस का मूल मंत्र है “अविकल्प”। अविकल्प का अर्थ है—किसी विषय की कल्पना या योजना को सही तरीके से तैयार करना, किसी चीज़ का उचित डिज़ाइन और परिकल्पना करना। ऐसे कार्यक्रमों में बच्चों के उपचार से संबंधित वैज्ञानिक विषयों पर चर्चा होती है। जिन विषयों पर वर्तमान समय में शोध किया गया है, उन्हें डॉक्टर अपने साथियों और स्नातकोत्तर छात्रों के साथ साझा करते हैं, जिससे उपचार विधियों व निदान से संबंधित उनके ज्ञान का विस्तार हो सके।इस तरह की कॉन्फ़्रेंस का आयोजन अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर समय–समय पर किया जाता है।
मेरे 45 वर्षों के अनुभव में मैंने इस प्रकार की अनेक कॉन्फ़्रेंस में भाग लिया है। ऐसी कॉन्फ़्रेंस के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रत्येक ज़िले से, जहाँ शिशुरोग विशेषज्ञ पदस्थ हैं, दो–दो डॉक्टरों को शासकीय खर्च पर कॉन्फ़्रेंस और वर्कशॉप में भाग लेने हेतु भेजने की व्यवस्था की है। यह एक बहुत अच्छी पहल है। इस कॉन्फ़्रेंस के लिए हमें यूनिसेफ तथा ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से भी बहुत सहयोग प्राप्त हुआ है। कांन्फ्रेंस का आयोजन संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ नीलम मोहन के मार्गदर्शन में किया जा रहा है और भोपाल, मुंबई, नागपुर और बड़ौदा सहित देश भर के चिकित्सक भाग ले रहे हैं।डॉक्टर जी के अग्रवाल ने कहा कि वर्कशॉप का पहला दिन 12 दिसंबर को भोपाल के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों—कुल सात मेडिकल कॉलेजों—में अलग–अलग विषयों पर आयोजित किया गया। इन वर्कशॉप में वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ, जिन्हें विभिन्न विषयों और बीमारियों में दक्षता और अनुभव प्राप्त है, वे निर्धारित मॉड्यूल के अनुसार प्रैक्टिकल के माध्यम से दूर–दराज़ क्षेत्रों से आए स्नातकोत्तर छात्रों और अन्य डॉक्टरों का मार्गदर्शन किया। 13 दिसंबर को मुख्य कॉन्फ़्रेंस आरंभ हुई, जिसमें सुबह से ही एक ही स्थान पर स्थित विभिन्न हॉल में अलग–अलग विषयों पर चर्चा की। चूँकि एक चिकित्सक एक ही समय में कई स्थानों पर उपस्थित नहीं हो सकता, इसलिए पूरा कार्यक्रम पहले से उपलब्ध करा दिया जाता है ताकि डॉक्टर अपनी रुचि और आवश्यकता के अनुसार वह सत्र चुन सकें, जिसमें उन्हें विशेष दक्षता प्राप्त करनी हो। डॉ. जी. के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले 45 वर्षों में यह देखा है कि स्थानीय आयोजन समितियाँ अत्यधिक परिश्रम करती हैं। उन्हें एक वर्ष पहले से ही इस प्रकार की कॉन्फ़्रेंस के आयोजन के लिए निरंतर काम करना पड़ता है, तभी ऐसी कॉन्फ़्रेंस निश्चित सफलता प्राप्त कर पाती हैं। आपसी बातचीत में यह पाया गया है कि जो डॉक्टर साथी इस कार्यक्रम में आते हैं, वे स्वयं को अत्यंत लाभान्वित महसूस करते हैं। मैं यहाँ उपस्थित सभी डॉक्टरों का स्वागत करता हूँ और आशा करता हूँ कि वे यहाँ से उपचार एवं निदान की वर्तमान विधियों के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाएंगे तथा स्वयं को लाभान्वित महसूस करेंगे।

