श्री विद्याप्रमाण गुरुकुलम् अवधपुरी में विश्व योग दिवस पर “भावना योग” का भव्य आयोजन

महामण्डलेश्वर अनिलानन्द जी की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ भव्य आयोजन।
मुनिश्री के भावपूर्ण प्रवचन ने हजारों श्रद्धालुओं के
हृदय को छुआ।
भोपाल, 21 जून विश्व योग दिवस के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित अवधपुरी क्षेत्र के श्री विद्याप्रमाण गुरुकुलम् परिसर में “भावना योग” साधना का भव्य, ऐतिहासिक आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर हजारों साधकों एवं श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। हेमलता जैन रचना ने बताया कि इस
कार्यक्रम की गरिमा उस समय और बढ़ गई जब महामण्डलेश्वर अनिलानन्द जी स्वयं साधना में सम्मिलित होने गुरुकुलम् पहुँचे। इस अवसर पर उन्होंने कहा_ “आज योग भारतीय संस्कृति का अमूल्य रत्न बनकर संपूर्ण विश्व को मार्ग दिखा रहा है। भावना योग इसकी आत्मा है जो व्यक्ति के आंतरिक शुद्धिकरण और आत्मिक उत्थान की राह दिखाता है।”
*मुनिश्री 108 प्रमाणसागर जी के महाराज के प्रभावशाली उद्बोधन ने उपस्थित साधकों को भावविभोर कर दिया।*
अपने प्रेरक प्रवचन में मुनिश्री ने कहा कि_ “आज दुनिया को योग की जरूरत है किंतु केवल शरीर की कसरत वाला योग नहीं बल्कि आत्मा के स्पर्श वाला योग चाहिए। भावना योग हमें केवल तन से ही नहीं, मन और आत्मा से भी जोड़ता है। यह अंतरात्मा की ओर लौटने की यात्रा है। भावना योग जीवन में आत्मिक अनुशासन, संयम, समर्पण और संतुलन लाता है।
हमने यह आयोजन केवल एक परंपरा के निर्वाह के लिए नहीं किया बल्कि यह प्रयास है आत्मचेतना को जागृत करने का। हमारी संस्कृति की यह मौलिक साधना अब विश्वपटल पर नई चेतना भर रही है।”
कार्यक्रम में भावना योग के विशेष चरणों का अभ्यास भी कराया गया जिसमें ऊर्जा आह्वान, संकल्प ध्यान, आत्मस्वीकृति और प्रार्थना साधना प्रमुख थीं। उपस्थित जन समूह ने एक स्वर में मंगल भावना का सामूहिक गायन किया जिससे समूचा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया।
उक्त कार्यक्रम में शहर के अनेक योगाचार्य, साधकगण, संतगण, विद्यार्थियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी रही। आयोजन के पश्चात सामूहिक मंगल भावना व आशीर्वचन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
श्री विद्याप्रमाण गुरुकुलम् के इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि योग केवल देह की साधना नहीं, बल्कि अंतःकरण की आराधना है और भावना योग इसका सजीव स्वरूप है।