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इंडिगो की करीब 5000 फ्लाइट रद्द: मुआवजे पर क्या हैं नियम, कब यात्रियों को होटल-खाना देना जरूरी? जानें

इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट्स रद्द होने का सिलसिला दो दिसंबर से शुरू हुआ था। इसके बाद कंपनी की सैकड़ों उड़ानों का रद्द होना जारी है। इन परिस्थितियों में हजारों यात्री जहां-तहां हवाई अड्डों पर ही फंस गए। सरकार की तरफ से इंडिगो को रिफंड जारी करने की सीमा भी तय कर दी गई। हालांकि, इस परिस्थिति में यात्रियों के भी कई अधिकार हैं, जिनके जरिए एयरलाइंस की तरफ से ऐसी चूक की स्थिति में वे उचित राहत के पात्र हो जाते हैं।इंडिगो की उड़ानें रद्द होने का सिलसिला लगातार नौवें दिन जारी हैं। कुल आंकड़ों पर गौर करें तो इस एयरलाइन कंपनी की तरफ से अब तक 5000 से ज्यादा उड़ानें रद्द की जा चुकी हैं। सबसे बुरे हालात 4, 5 और 6 दिसंबर को देखने को मिले, जब एयरलाइन की रोजाना रद्द होने वाली फ्लाइट्स की संख्या लगातार हजार के करीब रही। हालांकि, केंद्र सरकार की तरफ से नियमों में थोड़ी ढील दिए जाने के बाद अब इंडिगो की सेवाएं पटरी पर लौटती दिख रही हैं। इसके बावजूद कई अहम मार्गों पर टिकट बुक करा चुके यात्रियों की समस्याएं अभी भी जारी हैं।

इंडिगो संकट के इस पूरे दौर में सबसे ज्यादा परेशान वह यात्री रहे, जिन्होंने पहले से ही अपनी फ्लाइट के टिकट बुक करा लिए थे और सफर करने के लिए एयरपोर्ट तक पहुंच चुके थे। हालांकि, विमानन सेवा में अवरोध पैदा होने बाद इन लोगों को या तो इंडिगो की तरफ से उड़ान रद्द होने की जानकारी मिली या फिर इनके घंटों देरी से उड़ान भरने की सूचना मिली। स्थिति यह हो गई कि यात्रियों को घंटों एयरपोर्ट पर बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह भी इस उम्मीद में की उनकी रद्द हुई फ्लाइट की जगह सफर के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी या उनके लिए दूसरे इंतजाम किए जाएंगे।
हालांकि, एयरपोर्ट पर इन समस्याओं का कोई हल नहीं दिखा। सिर्फ केंद्र सरकार की तरफ से इंडिगो के लिए एक निर्देश जारी हुआ, जिसमें कंपनी को रद्द हुई फ्लाइट्स के यात्रियों को जल्द से जल्द रिफंड मुहैया कराने के लिए कहा गया। इसके लिए समयसीमा भी तय कर दी गई और महज तीन दिन में इंडिगो ने करीब 800 करोड़ से ज्यादा की राशि यात्रियों को लौटा दी। लेकिन इससे यात्रियों के एयरपोर्ट तक आने का खर्च, उड़ानें रद्द होने या लेट होने से उनकी मानसिक प्रताड़ना का मुआवजा शामिल नहीं था। न ही हवाई अड्डे पर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की कमी को लेकर इंडिगो एयरलाइंस की कोई जिम्मेदारी तय की गई।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर किसी विमानन कंपनी की तरफ से उड़ानें रद्द किए जाने या फ्लाइट के देरी से उड़ान भरने से परेशानी झेलने वाले यात्रियों के लिए केंद्र सरकार के नियम क्या हैं? क्या यात्री अपनी परेशानी के लिए एयरलाइंस से मुआवजा वसूल सकते हैं? कैसे कंपनियां अपनी जिम्मेदारियों से बच निकलती हैं? इसके अलावा भारत में पीड़ित हवाई यात्री अदालत का रुख कब कर सकते हैं और उन्हें मुआवजा हासिल करने के लिए क्या करना पड़ता है? दुनिया में इससे जुड़े नियम क्या कहते हैं? 
पहले जानें- फ्लाइट रद्द होने या देरी से उड़ान भरने पर यात्रियों के लिए क्या नियम?
भारत में हवाई यात्रियों के अधिकारों को लेकर नियम तय करने का जिम्मा नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का है। डीजीसीए की तरफ से नागर विमानन जरूरतों (सीएआर) के तहत इन नियमों की एक शृंखला दी गई है। इसके सेक्शन 3, सीरीज एम, पार्ट-4 में यात्रियों के अधिकारों से जुड़े नियम मौजूद हैं। इसका शीर्षक है- ‘बोर्डिंग से इनकार करने, फ्लाइट रद्द होने या देरी से उड़ान भरने की स्थिति में एयरलाइंस की तरफ से यात्रियों को मुहैया कराई जाने वाली सुविधाएं।’ इन नियमों की आखिरी बार जनवरी 2023 में समीक्षा की गई थी।

इन नियमों के तहत एयरलाइंस पर यात्रियों को मुआवजा या सुविधाएं सिर्फ विशेष परिस्थिति में मुहैया कराई जाती हैं। यह विशेष परिस्थितियां इस बात पर निर्भर करती हैं कि एयरलाइन कंपनी ने यात्री को फ्लाइट के रद्द होने की जानकारी कब दी।

 

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