भोपाल के कोलार क्षेत्र में दो बांग्लादेशी भाइयों ने 2014 में फर्जी किरायानामा दिखाकर वोटर कार्ड, आधार और पासपोर्ट बनवा लिए। जांच में दस्तावेज फर्जी मिले और दोनों लंबे समय से फरार हैं। पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर साइबर विंग की मदद से जांच शुरू कर दी है।ामल
राजधानी भोपाल के कोलार थाना क्षेत्र में करीब दस वर्ष पहले ग्यारह महीने के लिए किराए का मकान लेने वाले दो बांग्लादेशी भाइयों ने फर्जी दस्तावेज देकर यहां से वोटर कार्ड बनवाए। इसके बाद आधार कार्ड और पासपोर्ट भी बनवा लिए। कुछ माह पहले अवैध बांग्लादेशियों की जब देशभर में तलाश शुरू हुई, इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों के इनपुट के आधार पर भोपाल पुलिस को पता चला। इसके बाद भोपाल पुलिस ने जांच के बाद दोनों बांग्लादेशियों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि दोनों बांग्लादेशी वर्तमान में कहां हैं, इसका पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को पता नहीं है। पासपोर्ट बनवाए जाने के लिए हुए पुलिस वेरीफिकेशन पर भी सवाल उठने लगे हैं। पुलिस की जांच में वेरीफिकेशन करने वाले तत्कालीन पुलिस कर्मचारियों से भी जवाब-तलब किया जाएगा।कोलार थाना पुलिस के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक मो. रिहान अंसारी पिता सफकूल हक अंसारी और मो. मकबूल अंसारी पिता सफकूल हक अंसारी ने अगस्त 2014 में राजवैद्य कॉलोनी, कोलार रोड में लक्ष्मी ठाकुर का मकान ग्यारह माह के लिए किराए पर लेने का अनुबंध लगाकर वोटर कार्ड, आधार कार्ड बनवाया। इसके बाद इसी मकान का पता देकर पासपोर्ट भी बनवा लिया। कुछ सप्ताह पहले इंटेलीजेंस ने पासपोर्ट के आधार पर दिए गए पते पर दोनों की जांच के निर्देश दिए थे। जांच में खुलासा हुआ कि वह दोनों बांग्लादेशी कभी उक्त मकान में किराए पर रहे ही नहीं। दोनों आरोपियों ने फर्जी तरीके से मकान का अनुबंध पत्र तैयार कराकर दस्तावेज बनवाए और पासपोर्ट तक बनवा लिया। हालांकि पुलिस मकान मालिक के उन बयानों को भी तस्दीक कर रही हैं कि आरोपी उनके मकान में रहते थे या नहीं। इसके साथ यह भी तस्दीक की जा रही है कि जिस नोटरी की सील और हस्ताक्षर किए थे, वह भी फर्जी हैं या नहीं। जांच में अधिकांश दस्तावेज फर्जी पाए जाने के बाद धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया है।
सहायक पुलिस आयुक्त अंजली रघुवंशी ने पूरे मामले की जांच की है। इसके बाद कोलार थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। एसीपी की जांच में सामने आया कि दोनों भाई पासपोर्ट लेने के बाद से गायब हैं। उनकी वर्तमान स्थिति किसी को भी पता नहीं है। पुलिस अब इस मामले में साइबर क्राइम विंग की भी मदद ले रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो पासपोर्ट बनवाने के लिए ही वह भोपाल में फर्जी पते का इस्तेमाल किया है। हालांकि पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरीफिकेशन करने वाले पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ किए जाने की संभावना है।