पधारो मारे देश…. देशज समारोह बुन्देली गायन की प्रस्तुति
खजुराहो। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित ‘आदिवर्त‘ जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय- खजुराहो में प्रत्येक रविवार को नृत्य, नाट्य, गायन एवं वादन पर केन्द्रित समारोह ‘देशज‘ का आयोजन किया जाता है। गतिविधि में रविवार 06 अक्टूबर, 2024 को सायं 06.30 सुश्री अंशिका राजौतिया एवं साथी, सतना द्वारा ‘बुन्देली लोकगीत एवं भजन‘ की प्रस्तुति दी गई। गतिविधि की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं कलाकारों के स्वागत से की गई। कलाकारों का स्वागत शिखर सम्मान प्राप्त वरिष्ठ बैगा जनजातीय कलाकार सुश्री सावनी बाई बैगा एवं नायब तहसीलदार राजनगर श्री प्रतीक रजक द्वारा किया गया। गतिविधि की शुरूआत सुश्री अंशिका राजोतिया एवं साथियां द्वारा बुन्देली संस्कार गीत से की गई। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने देवीगीत, बुन्देली भजनों की प्रस्तुति दी। मंच पर प्रस्तुति के दौरान अंशिका राजौतिया, अशंक राजौतिया, गोपाल तिवारी, जीतेन्द्र नागर, वीरेन्द्र सिंह, रुपेश श्रीवास्तव कलाकारों ने संगत की।
अगली प्रस्तुति श्री अश्वनी कुशवाहा छतरपुर द्वारा बुन्देली लोकगीत प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने चेतावनी भजन, बिलवारी, लेद, ढिमरियाई, राई, भगत की प्रस्तुति दी। मंच पर प्रस्तुति के दौरान अश्वनी कुशवाहा, धीरज अहिरवार, देवांश खरे, पट्टू खरे, कमलाकान्त अहिरवार, सचिन परिहार, हल्के कुशवाहा कलाकारों ने संगत की। इसी क्रम मे अंतिम प्रस्तुति श्री अशोक कुमार मार्को एवं साथी द्वारा गुदुमबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी। गुदुमबाजा नृत्य गोण्ड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। ढुलिया जनजाति के कलाकारों द्वारा गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ जनजातियों के पारम्परिक गीतों की धुनों पर वादन एवं नर्तन किया जाता हैं। विशेषकर विवाह के अवसर पर इस जाति के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं एवं अन्य आनुष्ठानिक अवसरों पर भी इन्हें वादन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
गतिविधि अन्तर्गत 13 अक्टूबर को इन्द्रजीत दीक्षित एवं साथी खजुराहो द्वारा जवारे नृत्य, बलीराम पटेल साथी दमोह द्वारा बुन्देली लोकगीत, पूजा श्रीवास्तव, सागर द्वारा अखाड़ा नृत्य एवं बेदिका मिश्रा, पन्ना द्वारा बुन्देली लोकगीत एवं भजन की प्रस्तुति दी जायेगी।