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NUCFDC और IIA इंडिया ने शहरी सहकारी बैंकों में ऑडिट और संचालन व्यवस्था को मजबूती देने के लिए रणनीतिक साझेदारी की

मुंबई, 24 जुलाई। नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NUCFDC), भारत में शहरी सहकारी बैंकिंग (UCB) क्षेत्र के अम्ब्रेला ऑर्गनिज़शन और इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल ऑडिटर्स इंडिया (IIA इंडिया) ने समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में आंतरिक स्तर पर ऑडिट के मानकों को बेहतर बनाना, संचालन-व्यवस्था से जुड़ी सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को संस्थागत रूप देना और लंबे समय तक क्षमता निर्माण करना है। NUCFDC के सीईओ, श्री प्रभात चतुर्वेदी तथा IIA इंडिया के सीईओ, श्री के. वी. मुकुंदन की मौजूदगी में इस समझौता ज्ञापन पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। UCBs में ऑडिट और जोखिम प्रबंधन के वैश्विक मानकों को लागू करने के उद्देश्य से यह साझेदारी की गई है, ताकि संस्थाओं को मजबूत बनाने के साथ-साथ जमाकर्ताओं का भरोसा फिर से हासिल करने के बड़े नियामक उद्देश्यों के साथ तालमेल बिठाया जा सके।

आंतरिक स्तर पर जोखिम-आधारित ऑडिट के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देश, बैंकों को IIA और BCBS द्वारा जारी आंतरिक ऑडिट के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस समझौते के तहत, IIA इंडिया UCBs के भीतर संचालन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए NUCFDC के दीर्घकालिक लक्ष्य में सहायता उपलब्ध कराएगा। इस सहयोग के दायरे में ऑडिट के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाना, आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों को मजबूत बनाना तथा आंतरिक स्तर पर ऑडिट करने वालों एवं वरिष्ठ प्रबंधन कर्मचारियों की कामकाजी क्षमता को बेहतर बनाना शामिल है।

NUCFDC की ओर से UCBs को मजबूत गवर्नेंस मॉडल अपनाने में मदद की जाएगी, साथ ही IIA इंडिया भी सभी भागीदार UCBs को अपने वैश्विक ज्ञान कोष तक पहुँच की सुविधा देगा, जिसमें इंटरनल ऑडिट के मानकों, ESG और ऑडिट व जोखिम प्रणालियों में AI से संबंधित प्रक्रियाओं पर संसाधन शामिल हैं। इसके अलावा, UCB के अधिकारियों को इंटरनल ऑडिटर पत्रिका, “टोन एट द टॉप ब्रीफिंग्स”, विश्व स्तर पर होने वाले वेबिनार, अच्छी तरह से व्यवस्थित ट्रेनिंग मॉड्यूल और बेहद उपयोगी वर्कशॉप के साथ-साथ पूरे शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में ऑडिट की गुणवत्ता और संस्थागत मजबूती को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए जागरूकता कार्यक्रमों तक पहुँच की सुविधा भी मिलेगी।
NUCFDC के सीईओ, प्रभात चतुर्वेदी ने कहा, “शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की कामकाजी क्षमता को निखारना ही NUCFDC का मूल उद्देश्य है। IIA इंडिया के साथ इस साझेदारी से हम अपने सदस्य संगठनों के लिए आंतरिक स्तर पर ऑडिट को बेहतर संचालन व्यवस्था और स्थायी संस्थागत विकास की बुनियाद बना सकते हैं। यह साझेदारी ऑडिट की प्रक्रिया को अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाकर, हमारे उस वादे को पूरा करने में हमारी मदद करती है।”

IIA इंडिया के सीईओ, श्री के. वी. मुकुंदन ने भी इसी भावना को अपने शब्दों में बयां करते हुए कहा, “यह MoU शहरी सहकारी संस्थाओं में शासन और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। IIA इंडिया में, हम आंतरिक ऑडिट के लिए पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त मानकों और सबसे बेहतर प्रक्रियाओं को भारत की वित्तीय प्रणाली के निचले स्तर तक लाने के अपने संकल्प पर कायम हैं। हम इसके ज़रिये UCBs को भविष्य के लिए तैयार करना और उनकी संचालन व्यवस्था को पूरी तरह से प्रोफेशनल बनाना चाहते हैं।”

दोनों संगठनों के कई प्रमुख प्रतिनिधियों ने भी इस अवसर पर सहभागिता की, जिनमें, श्री सुमित हंस (चीफ़ बिजनेस ऑफिसर, NUCFDC), श्री मनीष सोलंकी (अध्यक्ष, IIA बॉम्बे चैप्टर) और श्री राजीव दिवादकर (चीफ़ ग्रोथ ऑफिसर, IIA इंडिया) शामिल थे। यह रणनीतिक साझेदारी काफी महत्वपूर्ण समय पर हुई है, जब पॉलिसीमेकर और रेग्युलेटर साथ मिलकर शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को अधिक पेशेवर और मजबूत बनाने के प्रयासों को तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2025 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित “अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष” के रूप में मनाए जाने की पृष्ठभूमि में, यह पहल वित्तीय समावेशन और सुशासन-आधारित विकास को बढ़ावा देने में UCBs की अहम भूमिका को उजागर करती है।

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