राज्यपाल मंगुभाई पटेल द्वारा संतोष चौबे लिखित पुस्तक “कम्प्यूटर एक परिचय” के 40वें संस्करण का हुआ लोकार्पण
अपने ज्ञान से दूसरों को बड़ा करने में ही शिक्षित व्यक्ति का गौरव है : राज्यपाल मंगु भाई पटेल

भोपाल। देश में कम्प्यूटर शिक्षा के प्रसार में अहम भूमिका निभाने वाली पुस्तक ‘कंप्यूटर एक परिचय’ के चालीसवें संस्करण का लोकार्पण शनिवार को कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में भव्यता और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के राज्यपाल माननीय श्री मंगुभाई पटेल ने पुस्तक का लोकार्पण किया। उनके साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह एवं अन्य अतिथियों में विज्ञान लेखक एवं कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय संतोष चौबे, स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी के पूर्व संचालक शिव कुमार अवस्थी और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की प्रो चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स शामिल रहे।
कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने वक्त्वय में कहा कि नई टेक्नोलॉजी का परिचय हिंदी में करवाना एक बड़ी बात है। ऐसा ही एक बड़ा कार्य “कंम्प्यूटर एक परिचय” पुस्तक के माध्यम से संतोष चौबे जी ने किया है। अपने ज्ञान से दूसरों को बड़ा करने में ही शिक्षित व्यक्ति का गौरव है। उसकी शिक्षा का गौरव है। उन्होंने कहा कि आज से 38 वर्ष पूर्व कम्प्यूटर ज्ञान के प्रसार के लिए ‘कम्प्यूटर एक परिचय’ पुस्तक की रचना कर, लेखक ने अपनी शिक्षा को गौरवान्वित किया है। संपूर्ण समाज को लाभान्वित करने का उनका प्रयास अभिनंदनीय है। राज्यपाल श्री मंगु भाई पटेल ने कहा कि पुस्तक लेखन समाज सेवा का सशक्त माध्यम है। नई सोच और दृष्टि के द्वारा समाज का मार्गदर्शन करने वाले लेखकों का सम्मान समाज का दायित्व है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि ज्ञान के लिए केवल पाठ्य पुस्तकों पर निर्भर नहीं रहे, पुस्तकों में उपलब्ध हमारे देश, समाज और संस्कृति के ज्ञान का भी अध्ययन करे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक परिवर्तन का नया दौर शुरू हुआ है, जिसकी आजादी के समय से ही देश अपेक्षा कर रहा था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में युवाओं को महत्वपूर्ण भूमिका देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बंधन मुक्त शिक्षा का अभूतपूर्व अवसर दिया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी आगामी 13-14 जनवरी को देश के 3 हजार युवाओं के साथ संवाद करेंगे। राज्यपाल श्री पटेल ने कार्यक्रम को देखने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि वैचारिक चिंतन में सहभागिता से नए विषयों और कार्यों के संबंध में जानकारी मिलती है। भविष्य के पथ का प्रदर्शन होता है। ‘कम्प्यूटर एक परिचय’ पुस्तक के लेखक श्री संतोष चौबे की सराहना करते हुए उनके स्वस्थ और सुदीर्घ जीवन की शुभकामनाएं दी। विशिष्ट अतिथि मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में सुपर कम्प्यूटर पर पहली बार कार्य भटकर जी ने किया था जिससे भारत में कम्प्यूटर को लेकर जागरूकता आनी शुरू हुई थी। लेकिन उस दौर में कम्प्यूटर की जानकारी अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी। ऐसे में “कम्प्यूटर एक परिचय” पहली पुस्तक बनी जिसने हिंदी में जन मानस के लिए कम्प्यूटर की जानकारी प्रदान करन का काम किया।विज्ञान लेखक एवं कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय संतोष चौबे ने अपने वक्तव्य में बताया कि कम्प्यूटर के ज्ञान के प्रसार के लिए इस किताब को लिखने का विचार आया। जिसके बाद स्कूलों में जा कर कार्यशालाओं के जरिए इस किताब की जानकारियों के फैलाना शुरू किया गया। आगे जाकर यहां से कम्प्यूटर सेंटर्स को शुरू करने का विचार आया जिससे लोगों को प्रशिक्षित किया जा सके। फिर इन्हीं कम्प्यूटर सेंटर्स की मांग पर उनके ही सहयोग से आईसेक्ट समूह के पहले विश्वविद्यालय की शुरूआत की गई। आगे संतोष चौबे ने बताया कि रोजगार के लिए भारतीय भाषाओं में ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता है। साथ ही देश में तकनीकी शिक्षा का विकास हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही सम्भव है। इस बात की जरूरत को मप्र शासन ने समझा भी है और अब मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराई जाने लगी है। इससे पहले डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि किस प्रकार “कम्प्यूटर एक परिचय” एक किताब से निकला ज्ञान के प्रसार का आंदोलन देशभर तक पहुंचा और आज आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह के रूप में छह विश्वविद्यालय के जरिए आम जन मानस को शिक्षा को सुलभ बना रहा है। इसके अलावा उन्होंने आईसेक्ट समूह के कार्यों से परिचय कराते हुए विस्तृत जानकारी प्रदान की।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने आभार व्यक्त करते हुए “कम्प्यूटर एक परिचय” किताब की छत्तीसगढ़ में लोकप्रियता का अपना अनुभव साझा किया। इस दौरान मंच संचालन आरएनटीयू की प्रो. चांसलर डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने किया।
इसके बाद तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने हिंदी में तकनीकी लेखक की चुनौतियों एवं “कम्प्यूटर एक परिचय” से जुड़े अपने अनुभवों पर चर्चा की। एनआईसी के सीनियर डायरेक्टर संतोष शुक्ला ने अपना संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मैं 1988 में खंडवा में एनआईसी डिपार्टमेंट में पदस्थ हुआ था। और उस समय संभवतः पहला कम्प्यूटर कलेक्टर ऑफिस में लगाया गया था जिसे देखने कई लोग आते थे। तब कई बार लोग मुझसे पूछते थे कि हम कम्प्यूटर का ज्ञान कहां से लें तो मैं उन्हें “कम्प्यूटर एक परिचय” पढ़ने के लिए कहता था। ऐसे में भोपाल आने पर लोग मुझे ही पैसे देकर पुस्तक का ऑर्डर देते थे।
वरिष्ठ विज्ञान लेखक यतीन चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में हिंदी लेखन में कुछ चुनौतियां पर बात की। उन्होंने बताया कि तकनीक के बदलने से नए तकनीकी शब्द आ जाते हैं जिनके हिंदी शब्द नहीं होते हैं। कुछ समय पहले जब हमने पायथन पर किताब लिखी तब कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा था।
मप्र ग्रंथ अकादमी के पूर्व संचालक शिव कुमार अवस्थी ने अपने वक्तव्य में पुस्तक से जुड़े अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह एक ऐसी पुस्तक थी जो एकादमिक के अलावा आम लोगों में भी लोकप्रिय हुई थी। 1988 के समय तक कम्प्यूटर विज्ञान पर पुस्तक छापी नहीं गई थी। उस समय हमारा उद्देश्य भाषा के माध्यम परिवर्तन के लिए पुस्तके छापना था। यह पहली पुस्तक थी जो उन उद्देश्यों के अनुरूप थीं। उसके बाद हमने कई पुस्तके प्रकाशित की परंतु यह सबसे विशिष्ट थी। इसी कारण उस समय हमने डॉ. शंकरदयाल शर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया था।
डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरूण जोशी ने बताया कि मैं कृषि विषय का छात्र रहा हूं और परंतु मेरी पूरी पढ़ाई अंग्रेजी में रही। यह सबसे अजीब बात है कि कृषि करने वाले 90 प्रतिशत लोग हिंदी और भारतीय भाषाओं के हैं परंतु जब कृषि के सैद्धांतिक ज्ञान की बात आती है तो पुस्तकें केवल अंग्रेजी में ही उपलब्ध होती हैं। यह एक विडंबना है जिस पर हम कार्य करने की शुरुआत कर रहे हैं।
मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी के पूर्व उप निदेशक रामप्रकाश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा, “संतोष चौबे जी का लेखन हिंदी साहित्य और तकनीकी शिक्षा के बीच एक सेतु का कार्य कर रहा है।”
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. एसके जैन ने कहा कि हिंदी भाषा पर हमें गर्व होना चाहिए और हिंदी ही हमारी मौलिकता है। हम अगर अपनी भाषा में पढ़ेंगे ही नहीं तो हमारे विचारों में भी मौलिकता नहीं होगी। वर्तमान समय में हम इसी समस्या से जूझ रहे हैं।
डॉ. संजय तिवारी, भोज यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर ने कहा कि हिंदी में तकनीकी लेखन के माध्यम से युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने का प्रयास निरंतर जारी रहना चाहिए।