नर से नारायण बनने में तुलसी साहित्य महत्वपूर्ण
सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा संत शिरोमणि श्री तुलसीदास जी की जयंती के संदर्भ में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। समसामयिक युग में तुलसी साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर यह व्याख्यान ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय के संस्थापक पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर जी द्वारा दिया गया।श्रद्धेय श्रीधर जी का पत्रकारिता एवं शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण योगदान रहा है। अपने कार्यक्षेत्र में उनके प्रामाणिक प्रयत्नों और अथक परिश्रम का महत्व सदैव बना रहेगा।उनकी श्रेष्ठ पत्रकारिता के कारण उन्हें 2012 में भारत सरकार ने पद्मश्री की उपाधि प्रदान की थी।उन्हें अनेक महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त हैं।तुलसीदास के साहित्य की प्रासंगिकता पर उन्होंने कहा कि नर से नारायण बनने की यात्रा की दृष्टि से श्रीरामजी का जीवन प्रेरणा देता है, आज भी हम मानस का अध्ययन करके अध्यात्मिक शक्ति से जुड सकते है. इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डा एस बी गोस्वामी जी ने श्रीधर जी का स्वागत करते हुए उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया, महाविद्यालय के प्राचार्य ने तुलसी साहित्य को वर्तमान में प्रासंगिक बताते हुए उसके महत्व को स्थापित किया । इस अवसर पर अधिक संख्या में शिक्षक गण एवं छात्राएँ उपस्थित रही। महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष जी डा कीर्ति शर्मा ने महान साहित्यकार तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को भारतीय संस्कृति का परिचायक ग्रंथ मानते हुए पूजनीय माना उन्होंने कहा कि स्वर्ण युग भक्ति काल तुलसी के साहित्य से लोककल्याण कारी बना।