मध्य प्रदेश

छतरपुर मामले में प्रशासन की नाकामी उजागर -यश भारतीय

भोपाल। छतरपुर में हुए हंगामे में पुलिस प्रशासन की नाकामी उजागर हुई है। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों की बातों को नजरंदाज किया गया और कही का गुस्सा कहीं उतारा गया जिसकी वजह से अप्रिय स्थिति बनी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारतीय ने बताया कि उन्होंने छतरपुर जाकर जमीनी हकीकत जानी पुलिस तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से चर्चा की। यश भारतीय ने कहा कि पुलिस और प्रशासन अमले के फेल होने से 21 अगस्त को लगभग सुबह 10:00 बजे जब अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर का प्रावधान करने का विरोध प्रदर्शन पूरे देश भर में हो रहा था वह छतरपुर में भी हुआ। जिसमें लगभग 5 से 6 थानों का पुलिस बल इस्तेमाल किया गया, बल प्रयोग किया गया, तनावपूर्ण माहौल भी बना। यहां पुलिस प्रशासन भारत बंद की विफल तैयारी का प्रदर्शन था। 100 प्रतिशत इंटेलिजेंस फैलियर रहा।इसी बीच मुस्लिम समाज के प्रमुख छतरपुर की पुलिस कोतवाली थाने में ज्ञापन देने पहुंचे जहां दो चार पुलिस वाले थे बाकी सभी भारत बंद के आंदोलन में स्थिति को नियंत्रित करने में व्यस्त थे। पुलिस कोतवाली थाने के थाना प्रभारी अरविंद जी अनुसार उन्हें थाने आने में कुछ विलंब हुआ जिसके कारण अन्य लोगों तक भी सूचना पहुंची और थाने में संख्या बढ़ती चली गई।थाना प्रभारी अरविंद के आने पर लोगों ने उनसे चर्चा की क्योंकि मिलने का समय पूर्व से निर्धारित था इसलिए लोग एकत्रित होते गए भीड़ बढ़ती चली गई भीड़ को समझाया गया भीड़ मान भी गई। ज्ञापन देने आने वाले लोगों के पास एक वीडियो था जिसमें महाराष्ट्र के अंदर एक कथा वाचक मुस्लिम समाज के नबी के बारे में अनावश्यक बातें और अपमानित करने वाली बातें बोल रहे थे। जिसके संबंध में ज्ञापन था जिस माध्यम से मुस्लिम समाज के लोग चाहते थे की एफ.आई.आर. दर्ज किया जाए।

FIR जीरो पर दर्ज क्यों नही की ?

टी.आई अरविंद ने लोगों को समझाया लोग समझ भी गए वह सब घर की तरफ जा रहे थे इसी बीच एडिशनल एसपी पुलिस एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी थाने पहुंच गए, जो भारत बंद के आंदोलनकारी के आंदोलन को खत्म करवा के आए थे।जब इन अधिकारियों से चर्चा हुई तो थाना परिसर की अंदर मुस्लिम समाज के जिम्मेदार लोग थे बाकी पूरी भीड़ थाना परिसर के बाहर थी लेकिन जिस तरह की बातें और पुलिस अधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की बॉडी लैंग्वेज और बातचीत करने का तरीका कुछ ठीक नहीं था क्योंकि कुछ देर पहले ही भारत बंद के आंदोलनकारी का जो तनाव था वह पूरा तनाव पुलिस अधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने इन मुस्लिम समाज के व्यक्तियों के ऊपर निकाला। जिसके कारण थाना परिसर के बाहर खड़ी हुई भीड़ को लगा कि हमारे मुस्लिम समाज के वरिष्ठजनों व सम्मानित जनों को अपमानित कर बेइज्जत किया जा रहा है और शायद उन्हें पुलिस थाने में बंद भी किया जा रहा है जिससे मामला बिगड़ गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button