मानव के उत्तम आचरण से यश कीर्ति, विजय की प्राप्ति संभव- प्राची देवी

भोपाल| जो भय उत्पन्न करें वह कंस है| कंस प्रवृत्ति के लोगों का चरित्र उन्हें स्वता: ही पतन की ओर ले जाता है मानव जीवन में व्यक्ति का आचरण जितना उत्तम होगा उसे अपने आप यस और कीर्ति प्राप्त होती जाएगी तथा सदा ही उसकी विजय होगी जिस मानव का चरित्र हनन हो जाता है वह अपने आप पराभव को प्राप्त होता है कंस का भी यही हाल हुआ|
विट्ठल मार्केट दशहरा मैदान में चल रही भागवत कथा के छठवें दिवस पर पूज्य प्राची देवी ने कहा की भागवत में 12 स्कंध है इनमें दसवां स्कंध और उसके भी पांच अध्यायभागवत के प्राण हैं जिसमें श्री कृष्ण की रासलीला का वर्णन है रास की उत्पत्ति रस शब्द से हुई जिसका अर्थ होता है आनंद रासलीला साधुओं का भक्तों का महायोगियों का विषय है इसे समझने के लिए इतना ही कहा जा सकता है कि हम भगवान को प्रेम करते हैं उससे कहीं ज्यादा भगवान हमसे अनन्य प्रेम करते हैं| रुक्मणी विवाह एवं सोलह हजार कन्याओं के समर्पण का प्रसंग भी उन्होंने अद्भुत रूप से श्रवण कराया| उन्होंने कहा की विवाह दो आत्माओं का मिलन का प्रसंग तो है ही यह जन्म-जनमानतरो तक पति-पत्नी के संबंधों को जीवित रखने का माध्यम है| भगवान कृष्ण और रुक्मणी की सजीव झांकी में विवाह उत्सव हुआ जिसमें यजमान स्वदेशसरोज सोनी सहित उपस्थित श्रद्धालुओं ने पेर पखार कर आशीर्वाद लिया| कल कथा के अंतिम दिवस में सुदामा चरित्र, भगवान का स्वधाम गमन परीक्षित मोक्ष आदि की कथा होगी व्यास पीठ का पूजन कैलाश विश्वास सारंग, अजय श्रीवास्तव नीलू विनोद डाबर भगवान दास बिलैया राजेंद्र गुप्ता आदि ने किया|