
भोपाल, मध्य प्रदेश, दिसंबर 2024: नवीनीकरण और दृढ़ संकल्प के अदभुत उदाहरण के रूप में, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के 37 वर्षीय पीढ़ीगत किसान मनोज हिंगवे ने किसानों के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाकर अपने परिवार के संतरे और कपास की खेती के व्यवसाय को बदल दिया है। मारुत ड्रोन्स के “ड्रोन एज़ ए सर्विस” (DAAS) पहल की मदद से, मनोज ने अपनी सामुदायिक खेती में तकनीकी क्रांति लाई है, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ा है बल्कि लागत और पारंपरिक तरीकों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम भी कम हुए हैं।
मनोज, छिंदवाड़ा जिले के पहले किसानों में से एक हैं, जिन्होंने ड्रोन तकनीक अपनाई। 11 महीने पहले, उन्होंने ड्रोन को अपनाने का विचार उस किसान उत्पादक संगठन (FPO) के सामने प्रस्तुत किया, जिससे वह जुड़े हुए हैं। किसानों के सामने आने वाली समस्याओं को समझते हुए, विशेष रूप से श्रम-प्रधान कार्यों जैसे कि सटीक स्प्रेइंग, मनोज ने इस पहल को अपनाने और पारंपरिक खेती और आधुनिक तकनीक के बीच की खाई को पाटने का निर्णय लिया।
छिंदवाड़ा में, जहां संतरे के पेड़ 15 फीट तक ऊंचे हो सकते हैं, मैनुअल स्प्रेइंग पारंपरिक रूप से कठिन और अप्रभावी रहा है। मारुत ड्रोन्स की तकनीक और मध्य प्रदेश सरकार की 75% सब्सिडी के सहयोग से, मनोज ने इस प्रक्रिया को आसान, तेज़ और अधिक प्रभावी बना दिया है। उनकी सफलता ने आस-पास के गांवों का ध्यान आकर्षित किया है, जहां किसान अब अपनी फसलों पर स्प्रे करने के लिए उनकी विशेषज्ञता पर निर्भर हैं। उन्होंने “ड्रोन एज़ ए सर्विस” की शुरुआत की, जिससे किसान ₹400-₹500 प्रति एकड़ के मामूली शुल्क पर उच्च गुणवत्ता वाली ड्रोन सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। मनोज अब प्रतिदिन 5-6 एकड़ तक की स्प्रेइंग कर रहे हैं, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं अधिक सस्ती है।
उन्होंने “ड्रोन एज़ ए सर्विस” को पास के किसानों को प्रदान करके एक कदम और आगे बढ़ाया है, जिसमें ₹400 प्रति एकड़ की सस्ती दर पर सेवाएं प्रदान की जाती हैं और वे प्रतिदिन 5-6 एकड़ तक स्प्रेइंग करते हैं। मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा दी गई 75% सब्सिडी के सहयोग से, इस क्षेत्र के किसानों को ड्रोन सेवाओं का उपयोग बिना खुद ड्रोन खरीदने के वित्तीय बोझ के मिल रहा है।
चुनौतियां:
• लागत: ट्रैक्टर के लिए ₹900/घंटा और 3-4 मजदूरों के लिए ₹400 प्रति एकड़, कुल ₹1500-₹1600 प्रति एकड़।
• स्वास्थ्य जोखिम: मैनुअल स्प्रेइंग में भारी उर्वरक कैन ले जाना पड़ता है, जिससे शारीरिक थकान और त्वचा संक्रमण जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं।
ड्रोन के उपयोग के फायदे:
• लागत प्रभावशीलता: सटीक और व्यापक कवरेज के साथ स्प्रेइंग लागत में कमी।
• स्वास्थ्य लाभ: मैनुअल स्प्रेइंग से होने वाली शारीरिक थकावट को समाप्त करना।
• उच्च आरओआई (ROI): विशेष रूप से संतरा और कपास उगाने वाले किसानों ने, अधिक बचत और उत्पादकता प्राप्त करने की रिपोर्ट दी है।
“ड्रोन एज़ ए सर्विस” के माध्यम से स्थानीय किसानों को सशक्त बनाना
मनोज हिंगवे कहते हैं कि “पारंपरिक स्प्रेइंग के तरीके न केवल कठिन थे, बल्कि महंगे भी थे,”। “ड्रोन के उपयोग ने लागत को काफी हद तक कम कर दिया है और दक्षता में सुधार किया है, जिससे किसान संतरा और कपास जैसी फसलों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं। पिछले 11 महीनों में, मैंने न केवल अपना निवेश वापस प्राप्त किया है बल्कि आस-पास के गांवों में भी प्रभाव उत्पन्न किया है।”
सिर्फ 2-3 महीनों में इस सेवा की पेशकश के बाद, मनोज ने एक ठोस प्रभाव देखा है। किसानों ने ड्रोन खरीदने और उसका रखरखाव करने के वित्तीय बोझ के बिना DAAS की सुविधा को अपनाया है। क्षेत्र में ड्रोन पायलटों की कमी को देखते हुए, मनोज ने खुद को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया और मारुत ड्रोन्स को उनकी विश्वसनीयता और कुशल रखरखाव सेवाओं के लिए चुना।
सामुदायिक सशक्तिकरण की कहानी
मनोज की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि कैसे सरकारी पहल, जैसे राज्य सरकार की सब्सिडी योजनाएं, किसानों को नवीनीकरण अपनाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सशक्त कर सकती हैं। उनकी कहानी आधुनिक खेती को उन्नत बनाने और एक स्थायी और आर्थिक रूप से सक्षम कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सामुदायिक समन्वय और उद्यमशीलता की भावना के महत्व को उजागर करती है। उनके प्रयास मध्य प्रदेश और आस–पास के युवा किसानों को उन्नत तकनीकों जैसे ड्रोन को अपनाने और अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
मनोज की यात्रा में मारुत ड्रोन्स का सहयोग मिला है, जो तकनीकी सहायता प्रदान करने और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ड्रोन का उपयोग करके, उन्होंने उन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती का समाधान किया है जो ऊंचे और घने फसलों पर उर्वरक और कीटनाशक स्प्रे करने में संघर्ष करते हैं। मनोज की सफलता की कहानी भारतीय कृषि में ड्रोन की परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करती है, जो मैन्युअल प्रयास को कम करती है, लागत बचाती है और खेती में अधिक सटीकता सुनिश्चित करती है। उनके प्रयासों ने अन्य किसानों को आधुनिक प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया है, जिससे एक अधिक टिकाऊ और कुशल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
जैसे की भारत सरकार आत्मनिर्भरता और ड्रोन तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने पर जोर दे रही है, मनोज हिंगवे की सफलता की कहानी दिखाती है कि ड्रोन में कृषि को क्रांतिकारी रूप से बदलने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की अपार संभावनाएं हैं।