अध्यात्ममध्य प्रदेश

बोधगया महाबोधि महाविहार गैर बौद्धों से मुक्ति होकर बौद्धों के सुपुर्द होगा – डॉ आकाश लामा

दुनिया के समस्त बौद्ध धर्मावलंबियों के आस्था का प्रमुख पवित्र स्थान महाबोधि महाविहार जहां पर सिध्दार्थ गौतम को बोधि (ज्ञान) प्राप्त हुई थी और भगवान बुध्द कहलाने लगे। यह महाबोधि महाविहार विगत कई वर्षों से पूर्व में शासन व्दारा बनाये गये बी टी एक्ट 1949 के तहत गैर बौद्धों के अधिनस्थ संचालित हो रहा है। जिससे यहां बौद्ध रितीरिवाजो के विपरित पूजा और अन्य कार्य किया जाकर बौद्ध संस्कृति को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी परिपेक्ष्य में विगत 12 फरवरी 2025 से आल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के महासचिव डॉ आकाश लामा के नेतृत्व में एवं भिक्षु संघ की उपस्थिति में महाबोधि महाविहार को गैर बौद्धों के चुंगल से मुक्त कराने अर्थात बीटीएक्ट 1949 को निरस्त कर इस महाविहार को बौद्धों को सौंपने के लिए विगत 111 दिन से अनवरत शान्ति पूर्वक आंदोलन किया जा रहा है, किन्तु बिहार शासन प्रशासन व्दारा इस आंदोलन पर गंभीरता से विचार न करते हुए अनदेखा किया जाकर इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए अनावश्यक परेशान एवं भ्रमित किया जा रहा है। इसके अलावा देश के कुछ बौद्ध भिक्षुओं तथा बौद्ध धर्मावलंबियों में सोशल मीडिया के माध्यम से गलत भ्रांतियां उत्पन्न हो गई है। इसे दूर करने और आंदोलन की वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए डॉ आकाश लामा ने बताया कि आज भी बौध्दगया में अनवरत महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन जारी है और वह सही दिशा की ओर चल रहा है। हमने शासन से बीटी एक्ट 1949 निरस्त कर हमारी विरासत हमें सौंपने की मांग की है, यह एक बिलकुल सही मांग है। लेकिन शासन व्दारा इसे अनदेखा किया जा रहा है, किन्तु यह आंदोलन अब देश मे ही नहीं इसकी आहट विभिन्न बौद्ध देशों में भी पहूंच चूंकि है, जिससे इस आंदोलन को शीघ्र समाप्त करने हेतु कुछ तथाकथित बौद्ध भिक्षु और बौद्ध अनुयाई सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रम फैलाने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर लामा जी ने कहा कि आप लोगों को भ्रमित होने की आवश्यकता नही हम पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ इस आंदोलन को जारी रखा है, यदि किसी को कोई शंका हो वह स्वंय आकर देखे, किन्तु बिना देखे सोचे समझे अनावश्यक आक्षेप लगाकर आंदोलन की गरिमा पर धूमिल करने का प्रयास नहीं करें। यह आंदोलन बौद्धों के स्वाभिमान का आंदोलन है और सच्चाई के धरातल पर आधारित है, इसमें शत-प्रतिशत सफलता मिलेगी, किन्तु हमें शान्ति पूर्वक धैर्य से कार्य करना होगा तथा तथाकथित भ्रम फैलाने वालों सावधान रहना होगा। इस आंदोलन को देश के कोने-कोने से भरपूर सहयोग मिल रहा है, विशेषकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों से सराहनीय योगदान दिया जा रहा है। इसके चलते ही यहां की जनता के मन में उत्पन्न भ्रम दूर करने के साथ साथ सही आंदोलनकारी को ही सहयोग करने की अपील करने आया हूं। इस अवसर पर उपस्थित आल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के राष्ट्रीय सलाहकार पूज्य भन्ते डॉ चन्द्रकित्ती जी ने कहा कि आप सभी बौद्ध धर्मावलंबियों को इस आंदोलन को समर्थन देकर इसे मजबूती प्रदान करना चाहिए। महाबोधि महाविहार यह बौद्धों धर्मावलंबियों की धरोहर हैं और इसे बौद्धों को ही सौंपना चाहिये, किन्तु ऐसा न कर बौद्धों के अन्याय किया जा रहा है। इस पर आवाज उठाना कोई ग़लत बात नही है।
कार्यक्रम में नागपूर से विशेष रूप से पधारे दि बुद्धिस्ट सोसाइटी आफ इंडिया के ट्रस्टी चेयरमेन डॉ चन्द्रबोधि पाटिल ने संबोधित करते हुए कहा कि इस आंदोलन के संबंध सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही अफवाहों से दूर रहें और वास्तविक स्थिति से अवगत होना प्रयास करें। इसके पूर्व भी महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए दो बार आंदोलन किये जा चुके, किन्तु हमारी एकता के अभाव में अधिक समय तक नहीं चल सकें। इस बात को समझना होगा कि वर्तमान में डॉ आकाश लामा जी के नेतृत्व में जारी आंदोलन यह कोई व्यक्तिगत रुप से न होकर सभी बौद्ध भिक्षुओं और बौध्द धर्मावलंबियों के सहयोग से जारी है और इस आंदोलन का एकमात्र उद्देश्य महाबोधि महाविहार को गैर बौद्धों से मुक्त कर बौद्धों के सौंपने का, इसे ध्यान में रखकर वर्तमान जारी आंदोलन को हम सब मिलकर सहयोग कर लामा जी का हौसला बुलंद करना चाहिए। यह बात सही है, यह एक सच्ची लड़ाई है और सच्चाई की सदैव जीत होती है, जो हमें निश्चित प्राप्त होगी।
कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न बौद्ध संघटनाओं और बौद्ध उपासक उपासिकाओ व्दारा धम्मदान के रुप में धनराशि देकर उनका हौसला अफजाई कराया तथा उन्हें आश्वस्त किया गया कि इस आंदोलन में हम सभी बौद्ध धर्मावलंबी आपके साथ है।

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