बीजेपी भारत देश के आधे से ज्यादा आबादी वाले समाज के साथ कुठाराघात कर रही

अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट तुलसीराम पटेल ने बीजेपी के धर्मनिरपेक्षता वाले बयान को लेकर कहा है कि बीजेपी भारत देश के आधे से ज्यादा आबादी वाले समाज के साथ कुठाराघात कर रही है,इस बयान से ऐसा महसूस हो रहा है कि आरएसएस,बीजेपी वालो को संविधान चुभता है क्योंकि संविधान समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।
RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।श्री पटेल ने कहा है कि ये एजेंडा बीजेपी का असली चेहरा उजागर करता है! जब आरएसएस और बीजेपी के नेता भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्द हटाने की बात करते हैं, तो पहले उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। जरा देखिए तो बीजेपी के अपने संविधान के पहले पन्ने पर बड़े अक्षरों में ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्षता’ दर्ज है।तो सवाल ये है जब अपने दल के संविधान में ये मूल्य स्वीकार हैं, तो देश के संविधान से इन्हें हटाने की मंशा क्यों?क्या ये दोगलेपन का चरम नहीं है?
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले हों या केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान,पहले अपनी पार्टी के संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ हटाएं, फिर देश के संविधान को छेड़ने की बात करें। ये तो वही हुआ एक मुंह से आचार चखना, और दूसरे से ज़हर उगलना। देश का संविधान किसी पार्टी की जागीर नहीं है। हमने इसे संघ की प्रयोगशाला नहीं, बल्कि जनता की ताकत से बना राष्ट्र का धर्मग्रंथ बनाया है। छेड़ोगे, तो जनता के आक्रोश से सामना करना पड़ेगा।