अध्यात्म

8 को पड़ेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण

चैत्र नवरात्रि के शुरू होने से एक दिन पहले चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा. 8 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है और इस दिन सूर्य ग्रहण लगेगा फिर अगले दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाएगी. 8 अप्रैल को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्य ग्रहण काफी देर तक चलेगा और माना जा रहा है कि इतने लंबे समय तक चलने वाला सूर्य ग्रहण करीब 50 साल बाद फिर से लगेगा. इस सूर्य ग्रणण की कुल अवधि करीब 5 घंटे 25 मिनट की होगी. सूर्य ग्रहण के दौरान काफी देर तक धरती के जिन-जिन इलाकों में दिखेगा वहां अंधेरा छा जाएगा. भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा. साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा और यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू हो जाएगा जो रात के करीब 2 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा. यह ग्रहण कनाडा, मेक्सिको, यूनाइटेड स्टेट्स, नीदरलैंड, कोलंबिया, कोस्टा रिका, क्यूबा, डोमिनिका, ग्रीनलैंड, आयरलैंड, आइसलैंड, जमाइका, नॉर्वे, पनामा, निकारगुआ, रूस, पोर्तो रिको, सैंट मार्टिन, स्पेन, द बहामास, यूनाइटेड किंग्डम और वेनेजुएला समेत दुनिया के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा यानी ग्रहण के दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीचोबीच चंद्रमा रहेगा. जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य का प्रकाश कुछ अवधि के लिए पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है जिससे पृथ्वी में अंधेरा छा जाता है. इसे ही पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं. भारत में नहीं दिखेगा यह सूर्य ग्रहण इस सूर्य ग्रहण के नजारे को भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि यह सूर्य ग्रहण रात को लगेगा. ग्रहण का सूतक काल हिंदू मान्यताओं में सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है. ग्रहण के शुरू होने के कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. सूतक काल के आरंभ होने पर किसी भी तरह का शुभ काम या पूजा-पाठ करना वर्जित होता है. सूर्य ग्रहण लगने पर सूतक काल ग्रहण के शुरू होने के 12 घंटे पहले लग जाता है वहीं चंद्र ग्रहण पर सूतक काल ग्रहण लगने के 5 घंटे पहले लगता है. भारत में सूर्य ग्रहण नहीं रहेगा इस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव सूर्य ग्रहण होने पर इसका प्रभाव देश-दुनिया के साथ सभी 12 राशियों के जातकों पर पड़ता है. यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लगेगा. इसके साथ ही चंद्रमा बुध और केतु के साथ कन्या राशि में मौजूद होंगे. ऐसे में कुछ राशि के जातकों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.

चैत्र नवरात्र में घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, वर्ष में मुख्य रूप से 2 बार नवरात्र मनाए जाते हैं. जिनमें चैत्र नवरात्र और आश्विन माह की शारदीय नवरात्र शामिल है. इस बार 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा. इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही जीवन में सुख और शांति के लिए व्रत किया जाता है. मान्यता के अनुसार, नवरात्र में जिस वाहन पर मां दुर्गा आती हैं उसका अलग-अलग मतलब होता है. इस बार चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. मिलते हैं ये संकेत शास्त्रों की मानें तो अगर नवरात्र में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं, तो इसे छत्रभंगे स्तुरंगम कहा जाता है. मां दुर्गा के वाहन को शुभ नहीं माना जाता है. मां दुर्गा के इस वाहन से यह संकेत मिलते हैं कि आने वाले वक्त में सत्ता में कुछ बदलाव होने वाला है. साथ ही युद्ध का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने से प्राकृतिक आपदा की संभावना बढ़ सकती है. इस दिन से है चैत्र नवरात्र पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा. ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं. चैत्र नवरात्रि मुहूर्त चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ- 9 अप्रैल 2024 कलश स्थापना मुहूर्त – सुबह 06.02 – सुबह 10.16 अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.57 – दोपहर 12.48 घोड़े पर सवार होकर माता रानी के आगमन अर्थ नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है.

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